स्वतन्त्रता दिवस अथवा 15 अगस्त अथवा आजादी का महत्व
रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. परिचय एवं इतिहास 3. प्रथम स्वतन्त्रता दिवस 4. महत्त्व एवं संदेश 5. मनाने का ढंग 6. हमारा कर्त्तव्य 7. उपसंहार ।

स्वतन्त्रता दिवस पर निबंध 670 शब्दों में – Swatantrata Divas per nibandh
1. प्रस्तावना – शहीदों के अपूर्व त्याग एवं बलिदानों के परिणामस्वरूप हमारा देश 15 अगस्त, सन् 1947 को स्वतन्त्र हुआ था। यह दिन भारतीय इतिहास का स्वर्ण-दिवस है।
उस दिन पहली बार हमने ऐसी स्वाधीनता को पहचाना जिसमें हर्ष, आनन्द, माधुर्य, सुख, संतोष, शान्ति, शीतलता एवं आत्म-विश्वास आदि भावों का समन्वय था। मानव ही क्या, पशु-पक्षी तक को स्वतन्त्रता और स्वाधीनता प्यारी होती है। स्वाधीनता कितनी प्यारी है, यह अवर्णनीय है, यह अनुभव का विषय है। यह गूँगे का गुड़ है।
2. परिचय एवं इतिहास – अपने ही मतभेदों, फूट एवं प्रमोद के कारण हमने आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पहले से ही स्वाधीनता को खोना प्रारम्भ कर दिया। विदेशी आक्रान्ताओं ने हमारी कमजोरी का लाभ उठाया। हममें आपसी फूट डालकर हमारे देश को पूर्ण रूप से गुलाम ही बना लिया। अंग्रेज व्यापारी बनकर आए और शासक बन गए। हम उनके गुलाम हो गए।
3. प्रथम स्वतन्त्रता दिवस — अंग्रेजों के अत्याचारों से पीड़ित होकर सन् 1857 ई० में हमारे देश-प्रेमियों ने स्वतन्त्रता के लिए पहला युद्ध छेड़ा था। लेकिन वह युद्ध हमारी फूट के कारण सफल न हो सका।
तिलक, गोखले, लाजपतराय, विपिन चन्द्र पाल, मोतीलाल, मालवीय, गाँधी जी, नेहरू जी, बोस जैसे पथ-प्रदर्शकों ने अपने बुद्धि-कौशल से एकमत होकर यह निश्चय किया कि देश को परतन्त्रता से मुक्त कराना है।
देशवासियों की एकता, सत्य-अहिंसा तथा सेवाभावी नेताओं का नेतृत्व रंग लाया और 15 अगस्त, सन् 1947 को हमारा देश पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हो गया। देश का कण-कण उल्लास से भर गया। शहीदों की आत्माएँ तृप्त हुई, नवयुग का प्रारम्भ हुआ।
4. महत्त्व एवं संदेश – हम आज स्वाधीन हैं। अपने देश के नेता एवं प्रजा हम ही हैं। हम प्रतिवर्ष 15 अगस्त को अपनी स्वतन्त्रता की वर्षगाँठ मनाते हैं। यह दिन हमारे लिए अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें स्वतन्त्रता का मूल्य समझाता है। यह पावन दिवस हमें राष्ट्रीय एकता, शक्ति, साहस एवं सुसंगठित रहने का अमर संदेश देता है।
5. मनाने का ढंग– प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त का दिन बड़े उत्साह से मनाया जाता है। प्रातः काल प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं। विद्यालयों, सरकारी कार्यालयों, घरों, दुकानों तथा बाजारों पर राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है। स्कूलों में प्रधानाचार्य विद्यालयों में ध्वजारोहण करते हैं, सलामी देते हैं। छात्र एन०सी०सी० की परेड करते हैं।
पी०टी० प्रदर्शन किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं। प्रधानाचार्य अथवा मुख्य अतिथि भाषण देते हैं। शिक्षाधिकारियों के शुभकामना संदेश पढ़े जाते हैं। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं। छात्रों को मिठाइयाँ वितरित की जाती हैं फिर छात्र अपने-अपने घर लौट आते हैं।
बाजारों, सरकारी कार्यालयों एवं भवनों पर दिन में ध्वजारोहण एवं संध्या समय प्रकाश की व्यवस्था की जाती है। सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामूहिक यज्ञ, प्रार्थनाएँ, अभिनय तथा भाषण एवं कविता-पाठ आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली में प्रातः काल सात बजे प्रधानमंत्री ध्वजारोहण के बाद लाल किले से भाषण देते हैं। सेना के तीनों अंग परेड में भाग लेते हैं। रात्रि के समय आतिशबाजी एवं रोशनी होती हैं।
6. हमारा कर्त्तव्य — हम सभी आपसी मतभेद भुलाकर राष्ट्रपर्व 15 अगस्त को मनाते हैं। इस दिन सभी भारतवासी संकल्प करते हैं कि हम स्वतन्त्र हैं तथा हम अन्य देशों की स्वतन्त्रता की कामना करते हैं, विश्वबन्धुत्व के कारण हम किसी भी देश को परतंत्र नहीं देखना चाहते।
15 अगस्त हमें हमारे कर्त्तव्यों की याद दिलाने आता है। स्वतन्त्रता की भावना तथा “जिओ और जीने दो” के सद्विचार पर आधारित, हमें सबके साथ समानता एवं न्याय के भाव अपनाने चाहिए।
7. उपसंहार — इस दिन हमें यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम अपने देश की एकता एवं अखण्डता को बनाए रखेंगे। आतंकवाद के सामने हम झुकेंगे नहीं, हर कीमत पर आजादी की रक्षा करेंगे। स्वतन्त्रता हमारे पूर्वजों एवं शहीदों की धरोहर है। अनगिनत बलिदानों से प्राप्त स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्रसेवा करना हमारा सर्वोपरि धर्म है। इसके हम सजग प्रहरी बनेंगे। हम सदा स्वाधीनता के अभिलाषी रहेंगे।