स्वच्छ भारत पर निबन्ध अथवा स्वच्छता अथवा स्वच्छता : हमारा योगदान अथवा सार्वजनिक स्वच्छता पर निबन्ध
रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) स्वच्छता के प्रकार, (3) स्वच्छता से लाभ (4) स्वच्छता : हमारा योगदान, (5) उपसंहार

स्वच्छ भारत पर निबन्ध 600 शब्दों में – Swachh Bharat par Nibandh
1. प्रस्तावना— स्वच्छता क्या है? यदि इस विषय पर विचार किया जाए तो हम पाते हैं कि निरंतर प्रयोग में आने से वातावरण के प्रभाव से अथवा स्थान मलिन होता रहता है।
धूल, पानी, धूप, कूड़ा-करकट की पर्त साफ करना, धोना, मैला और गंदगी को हटाना ही स्वच्छता कही जाती है। अपने शरीर, वस्त्रों, घरों, गलियों, नालियों और यहाँ तक कि अपने मौहल्लों तथा ग्राम/नगरों को स्वच्छ रखना हम • सभी का दायित्व है |
2. स्वच्छता के प्रकार–स्वच्छता को मोटे रूप से दो प्रकार से देखा जा सकता है — व्यक्तिगत स्वच्छता और सार्वजनिक स्वच्छता । व्यक्तिगत स्वच्छता में अपने शरीर को स्नान आदि से स्वच्छ बनाना, घरों में झाड़ू-पौछा करना, स्नान-गृह और शौचालय को विसंक्रामक पदार्थों के द्वारा स्वच्छ रेखना।
घर और घर के सामने से बहने वाली नालियों की सफाई, ये सभी व्यक्तिगत स्वच्छता के अंतर्गत आते हैं। सार्वजनिक स्वच्छता में मौहल्ले और नगर की स्वच्छता आती है, जो प्राय: नगर पालिकाओं और ग्राम-पंचायतों पर निर्भर करती है। सार्वजनिक स्वच्छता भी व्यक्तिगत सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती।
3. स्वच्छता से लाभ–कहा गया है कि स्वच्छता ईश्वर को भी प्रिय है। ईश्वर का कृपापात्र बनने की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अपने मानव जीवन को सुखी, सुरक्षित और तनाव मुक्त बनाए रखने के लिए भी स्वच्छता आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। मलिनता अथवा गंदगी न केवल आँखों को बुरा लगती है अपितु इसका हमारे स्वास्थ्य से भी सीधा संबंध है।
गंदगी रोगों को जन्म देती है, प्रदूषण की जननी है और हमारी असभ्यता की निशानी है। अतः व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखने में योगदान करना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है।
स्वच्छता के उपर्युक्त प्रत्यक्ष लाभों के अतिरिक्त इसके कुछ अप्रत्यक्ष और दूरगामी लाभ भी हैं। सार्वजनिक स्वच्छता से व्यक्ति और शासन दोनों लाभान्वित होते हैं। बीमारियाँ न होने से खर्चे में कमी आती है तथा स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय होने वाले सरकारी खर्च में भी कमी आती है। इस बचत को अन्य सेवाओं में उपयोग किया जा सकता है।
4. स्वच्छता : हमारा योगदान – स्वच्छता केवल प्रशासनिक उपायों के बलबूते नहीं चल सकती। इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी परम आवश्यक होती है। हम अनेक प्रकार से स्वेच्छा से स्वच्छता में योगदान कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं—
घर का कूड़ा-करकट गली अथवा सड़क पर न फेंकें। उस सफाईकर्मी के आने पर उसकी ठेला या वाहन में ही डालें। कूड़े-कचरे को नालियों में न बहाएँ। इससे नालियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं।
गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। पॉलीथीन का प्रयोग बिलकुल न करें, ये गंदगी बढ़ाने वाली वस्तु तो हैं ही, पशुओं के लिए भी बहुत घातक हैं। घरों के शौचालयों की गंदगी नालियों में न बहाएँ। खुले में शौच न करें तथा बच्चों को नालियों या गलियों में शौच न कराएँ । नगरपालिका के सफाईकर्मियों का सहयोग करें।
5. उपसंहार — ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र’ दामोदरदास मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है। इसका प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से निरंतर किया जा रहा है। अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, सेलेब्रिटीज (प्रसिद्ध लोग) इसमें भाग ले रहे हैं।
जनता को इसमें अपने स्तर पर सहयोग देना चाहिए। इसके साथ गाँव में खुले में शौच करने की प्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को घरों में शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। इन अभियानों में समाज के प्रत्येक वर्ग को पूरा सहयोग करना चाहिए।