Skip to content

सड़क दुर्घटना: कारण और निवारण पर निबंध – Sadak durghatna par nibandh

यातायात के नियम अथवा यातायात की समस्याएँ और समाधान अथवा असुरक्षित यात्रा अथवा सड़क दुर्घटना: कारण और निवारण

रूपरेखा –(1) प्रस्तावना, (2) नियम-पालन की आवश्यकता, (3) यातायात के नियम, (4) उपसंहार ।

सड़क दुर्घटना: कारण और निवारण पर निबंध - Sadak durghatna par nibandh
सड़क दुर्घटना: कारण और निवारण पर निबंध – Sadak durghatna par nibandh

1. प्रस्तावना – हम अपने अधिकारों और स्वतन्त्रता का उपभोग तभी तक कर सकते हैं, जब तक कि वे दूसरे लोगों के अधिकारों व स्वतन्त्रता में बाधक न हों। कुछ ऐसे नियम होते हैं जिनका हमें पालन करना ही चाहिए। जब हम नियमों का पालन नहीं करते अथवा बिना सोचे-समझे काम करते हैं तब हम दूसरों के लिए असुविधा पैदा करते हैं।

इसी प्रकार यातायात के नियम हैं जो सड़क के प्रत्येक प्रयोगकर्ता को मानने चाहिए। गाड़ियों के चालकों, साइकिल सवारों तथा पैदल यात्रियों सभी को इन नियमों का पालन करना चाहिए। यदि वे उन्हें नहीं मानेंगे तब वे स्वयं और अन्य व्यक्तियों को भी खतरे में डालेंगे। यातायात के संकेत जानने भी आवश्यक हैं क्योंकि उनके न जानने पर दुर्घटनाओं का अत्यधिक खतरा रहता है।

2. नियम पालन की आवश्यकता – एक दिन एक सज्जन अपनी टहलने की छड़ी को अपने हाथों में गोल-गोल घुमाते हुए और अपने को महत्त्वपूर्ण व्यक्ति दर्शाते हुए किसी भीड़-भाड़ वाली सड़क पर टहल रहे थे। उनके पीछे आते हुए एक – व्यक्ति ने आपत्ति की,

“आपको अपनी टहलने की छड़ी इस तरह गोल-गोल नहीं घुमानी चाहिए।”

“मैं अपनी टहलने की छड़ी से जो चाहूँ करने के लिए स्वतन्त्र हूँ।” उन सज्जन ने तर्क दिया।
“आप वास्तव में स्वतन्त्र हैं,” दूसरे व्यक्ति ने कहा, “परन्तु आपको यह मालूम होना चाहिए कि आपकी स्वतन्त्रता वहीं समाप्त हो जाती है, जहाँ तक वह मेरी स्वतन्त्रता में बाधक नहीं होती । ” “

निश्चित रूप से हम दूसरों की स्वतन्त्रता में जानबूझकर हस्तक्षेप नहीं करते। परन्तु कभी-कभी अनजाने में हम दूसरों के कार्यों में बाधक बन जाते हैं। यह उस समय होता है जब हम कोई कार्य बिना सोचे-समझे करते हैं या उन नियमों का पालन नहीं करते जिनका हमें पालन करना चाहिए ।

3. यातायात के नियम – यातायात के ऐसे कोई नियम नहीं हैं जो हमें बताएँ कि सभी मामलों में हमें किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और किस प्रकार का नहीं । परन्तु कुछ मामलों में ऐसे नियम हैं जिनका हम सबको पालन करना चाहिए । इन नियमों का उद्देश्य प्रत्येक के लिए सड़क के यातायात को सुरक्षित बनाना है।

आजकल हमारे नगरों और कस्बों की सड़कें यातायात के कारण अत्यधिक व्यस्त होती चली जा रही हैं। दिन में अधिकांश समय तक सड़कें कुछ धीमे तथा कुछ तेज गति के वाहनों से भरी रहती हैं। यदि लोग यातायात के नियमों उल्लंघन करते हैं, तो देर-सबेर दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। पैदल चलने वालों, गाड़ियों और सड़क के प्रत्येक प्रयोगकर्ता के लिए इन नियमों को जानना का आवश्यक है।

पैदल चलने वालों के लिए एक महत्त्वपूर्ण नियम है। यदि फुटपाथ है तो उन्हें फुटपाथ पर चलना चाहिए । जहाँ कोई फुटपाथ नहीं है, वहाँ पर पैदल चलने वालों को सड़क के बायीं ओर किनारे-किनारे चलना चाहिए। यदि वे इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो वे अपने और दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करेंगे।

एक वाहन चालक पैदल चलने वाले को बचाने के लिए अचानक ही अपने वाहन को मोड़ सकता है और ऐसा करने में वह किसी दूसरे को टक्कर मार सकता है, अपने वाहन पर सन्तुलन खो सकता है और फुटपाथ पर अनेक लोगों को टक्कर मारकर गिरा सकता है।

सभी वाहनों को यथासम्भव अपनी बायीं ओर चलना चाहिए और सड़क का दाहिना आधा भाग विपरीत दिशा से आने वाले वाहन के लिए छोड़ देना चाहिए। भारत के समस्त भागों में यातायात का यही नियम प्रचलित है।

साइकिल सवारों को सदैव सड़क के किनारे चलना चाहिए और पैदल यात्रियों अथवा वाहनों के मार्ग में कदापि बाधक नहीं बनना चाहिए। हम अक्सर दो या अधिक साइकिल सवारों को सड़क के बीच में एक-दूसरे के बगल में जाता हुआ देखते हैं, यातायात के नियम इस बात की आज्ञा नहीं देते। जहाँ सड़क बहुत व्यस्त है, वहाँ इससे यातायात में बाधा उपस्थित होगी और दुर्घटनाएँ होंगी।

आगे जा रहे वाहन को पार करने का नियम भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। किसी भी वाहन को दूसरे वाहन से आगे निकलने के लिए दायीं ओर से जाना चाहिए अन्यथा वह उस वाहन से टकरा सकता है, जो बायीं ओर रहने का प्रयत्न कर रहा है।

जहाँ सड़कें एक-दूसरे को काटती हैं वहाँ वाहन के पहले निकलने के अधिकार के बारे में भी नियम है। ऐसे स्थानों पर, साधारणतया, एक गोल चक्कर बना रहता है। जो वाहन दायीं ओर से आ रहा है, उसे बायीं ओर से आने वाले वाहन से पहले मार्ग पाने का अधिकार है। यदि प्रत्येक चालक इस नियम का पालन करे तो गोल-चक्करों पर यातायात सुचारु रूप से चलेगा और दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा।

वाहनों के चालकों को सही संकेत देने में कभी भूल नहीं करनी चाहिए, अन्यथा दुर्घटना होने का खतरा बना रहेगा। दाएँ-बाएँ मुड़ने, चाल मन्दी करने और रुकने तथा दूसरी गाड़ियों को आगे निकल जाने देने के संकेत हैं। साइकिल सवार, यह सोचकर कि ये संकेत केवल मोटर चालकों के लिए ही महत्त्वपूर्ण हैं, प्रायः संकेत देने में लापरवाही करते हैं।

परन्तु सड़क का प्रयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को, चाहे वे साइकिल सवार हों या मोटरचालक, सही संकेत देने चाहिए, जिससे सड़क पर चलने वाले दूसरे लोग सचेत हो जाएँ। पैदल चलने भी इन संकेतों का ज्ञान होना चाहिए, जिससे वे यह पता लगा सकें कि पर चलने वाला वाहन किधर होकर जा रहा है।

जब दो मोटर-चालक समय विपरीत दिशाओं से आते हुए अपनी गाड़ियों के प्रकाश को मन्द कर देते हैं तो वे एक-दूसरे के कार्य में सहायक होते हैं।
इस प्रकार के सभी कार्यों में हम अपनी थोड़ी-सी स्वतन्त्रता और सुविधा का त्याग करते हैं जिससे अन्य व्यक्ति अपनी स्वतन्त्रता और सुविधा का आनन्द ले सकें और जीवन सबके लिए सुगमतापूर्वक चल सके।

4. उपसंहार—इन सभी बातों से अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सार्वजनिक सड़क का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को यातायात नियन्त्रण कार्य पर तैनात पुलिसकर्मी की आज्ञा का पालन करना चाहिए। यह सभी नियमों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।

जरा कल्पना कीजिए कि पैदल चलने वालों और तेज गति से चलने वाले वाहनों से भरी व्यस्त सड़क पर यदि पुलिसकर्मी तैनात न हो तो क्या दशा होगी? आप समझ सकते हैं कि पुलिसकर्मी कितना महत्त्वपूर्ण है और आप उसके आदेश का सदैव पालन करने लगेंगे और यदि आप यह समझते हैं कि वह गलत है और आप ठीक हैं, तो भी आप उससे कभी नाराज नहीं होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *