
मनोविज्ञान एक अद्भुत विज्ञान है जो मन और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। यह शरीर, मन, और व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, और व्यवहार के पीछे के अंतर्निहित प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास करता है। मनोविज्ञान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक विकृतियाँ, समस्याएँ और व्यवहार के प्रकारों की जांच करने में मदद करता है।
मनोविज्ञान के कुछ मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
- कोग्निटिव प्रक्रिया: इसके अंतर्गत मनोविज्ञानी व्यक्ति के विचारों, ज्ञान, स्मृति, सोच, ध्यान आदि के मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं।
- व्यक्तिगतिकृतता: यह आवश्यकता है कि हर व्यक्ति अनूठी होता है, और मनोविज्ञान व्यक्तिगतिकृतता और व्यक्तिगत विकास के मानसिक पहलुओं को समझने में मदद करता है।
- मानसिक स्वास्थ्य: यह दिमागी विकारों, भय, डिप्रेशन, स्ट्रेस, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के अध्ययन के लिए उपयोगी होता है।
- व्यवहारिक मनोविज्ञान: इसमें व्यक्तियों के व्यवहार के पीछे के कारणों का अध्ययन होता है, जैसे कि सामाजिक प्रेरणा, संज्ञान, और सीखने के प्रक्रिया।
मनोविज्ञान मन के गहरे रहस्यों की खोज में मदद करता है और मानव व्यवहार को समझने का प्रयास करता है। यह विज्ञान मनोबल, सामाजिक आवश्यकताओं, और समस्याओं का समझने में भी बहुत महत्वपूर्ण है।
विषय सूची
मनोविज्ञान परिभाषाएँ
मनोविज्ञान के संबंध में कई परिभाषाएँ हो सकती हैं, जो इसके विभिन्न पहलुओं को बयान करती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ प्रमुख मनोविज्ञान की परिभाषाएँ:
- विज्ञानिक परिभाषा: मनोविज्ञान वह अध्ययन है जिसमें मानव मानसिक प्रक्रियाओं, विचारों, और व्यवहार की वैज्ञानिक रूप से जांच की जाती है। यह विश्लेषण, तथ्यों का संग्रहण, और प्रायोगिक प्रयोगों के माध्यम से मानसिक प्रक्रियाओं की समझ और व्यापकीकरण का प्रयास होता है।
- आध्यात्मिक परिभाषा: मनोविज्ञान आत्मा, मन, और ब्रह्म के बीच संबंध की गहरी समझ की दिशा में एक प्रयास हो सकता है। इस परिभाषा के अंतर्गत मनोविज्ञान मानसिक शांति, मानसिक स्वास्थ्य, और आंतरिक विकास को प्रमोट करने के लिए आध्यात्मिक तकनीकों का अध्ययन कर सकता है।
- चिकित्सकीय परिभाषा: मनोविज्ञान उन तकनीकों का आध्ययन करता है जिनका उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की चिकित्सा में किया जाता है। यह डिप्रेशन, अंग्रेजीयता, ओसीडी, और अन्य मानसिक विकारों के उपचार के लिए मानसिक चिकित्सकों द्वारा अपनाये जाने वाले तकनीकों का अध्ययन करता है।
- सामाजिक परिभाषा: मनोविज्ञान सामाजिक संदर्भ में मानव व्यवहार की समझ करने का प्रयास हो सकता है। यह विशेष रूप से समाज, परिवार, और संबंधों के मानसिक पहलुओं के प्रकट होने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
ये परिभाषाएँ मनोविज्ञान के विभिन्न पहलुओं और दिशाओं को दर्शाती हैं और इसके विभिन्न दृष्टिकोणों को बयान करती हैं।
इतिहास
मनोविज्ञान का इतिहास बहुत लम्बा और रोचक है, जो मानव मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन की विकास और प्रगति को दर्शाता है। निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ मनोविज्ञान के इतिहास का हिस्सा हैं:
- विशेष ज्ञानक का उद्घाटन (4वीं और 5वीं सदी): यूनानी डॉक्टर्स और दार्शनिकों ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का अध्ययन किया। हिप्पोक्रेटस ने मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए उपायों का विकास किया और अरिस्टोटल ने मानसिक प्रक्रियाओं के विचारशील अध्ययन किया।
- रेनैसांस काल (14वीं – 17वीं सदी): यूरोप में रेनैसांस काल में, मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में रुझान देखा गया, और यहां पर यूरोपीय डॉक्टर्स और विज्ञानकारों ने मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों का अध्ययन किया।
- प्रारंभिक मनोविज्ञान (19वीं सदी): 19वीं सदी में, मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। विल्हेल्म वुंट, सिगमंड फ्रॉयड, विलियम जेम्स, और जॉन डेविडसन जैसे विशेषज्ञ ने मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन किए और नई सिद्धांतों का विकास किया।
- सामाजिक मनोविज्ञान (20वीं सदी): 20वीं सदी में, मनोविज्ञान ने सामाजिक प्रक्रियाओं, व्यक्तिगत विकास, और सामाजिक विकास के क्षेत्र में अध्ययन किया। यह दुनियाभर में मानव संबंधों और सामाजिक प्रेरणाओं के बारे में नए दृष्टिकोण प्रस्तुत करने में मदद किया।
- न्यूरोसाइंस (20वीं सदी): न्यूरोसाइंस, जिसे मस्तिष्क और तंत्रिका तंतु संबंधित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, ने मानसिक प्रक्रियाओं के न्यूरोलॉजिकल आधार का अध्ययन किया है। यह कैसे मस्तिष्क कार्य करता है और मानसिक बीमारियों के कारणों की समझ में मदद करता है।
- सांकेतिक और मानसिक स्वास्थ्य का माध्यम (21वीं सदी): 21वीं सदी में मनोविज्ञान ने न्यूरोसाइंस, साइकोलॉजी, और आईटी के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के नए तरीके डिवेलप किए हैं। आधुनिक मनोविज्ञान और तकनीकी उपयोग के माध्यम से मानव मानसिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ का प्रयास कर रहा है।
मनोविज्ञान का इतिहास एक स्थिर और यात्रा भरपूर विकास का प्रतीक है, जिसने हमारे ज्ञान को मानव मानसिक प्रक्रियाओं की समझने में मदद किया है और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल में सुधार किया है।
मनोविज्ञान पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव
मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र के बीच गहरा संबंध है, और दोनों के बीच कई सामंजस्य हैं। दर्शनशास्त्र का मनोविज्ञान पर प्रभाव मानव मानसिक प्रक्रियाओं और मानसिक जीवन के प्रश्नों को गहराई से समझने में मदद करता है। निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जिनमें दर्शनशास्त्र मनोविज्ञान पर प्रभाव डालता है:
- मानव ज्ञान का विकास: दर्शनशास्त्र ने मानव ज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसमें मनोविज्ञान का अध्ययन और अद्वैत वेदांत, बौद्ध दर्शन, योग, और तंत्रिक दर्शन के माध्यम से मानव आत्मा और मानसिक प्रक्रियाओं के संबंध की गहरी समझ शामिल है।
- मानव धार्मिकता: दर्शनशास्त्र मानव धार्मिकता के मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं का अध्ययन करने में मदद करता है, जिसमें मनोविज्ञान ध्यान, ध्यान, और मानसिक शुद्धि की प्रक्रियाओं का अध्ययन कर सकता है जो आध्यात्मिक अभ्यास का हिस्सा होते हैं।
- मानसिक शांति और स्वास्थ्य: दर्शनशास्त्र के अध्ययन से मानव मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए मानसिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है। मनोविज्ञान और ध्यान की प्राकृतिक और औध्योगिक प्रक्रियाओं के बीच एक संबंध है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए तकनीकों का विकास हो सकता है।
- मानव व्यवहार और नैतिकता: दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान दोनों के अध्ययन से मानव व्यवहार, नैतिकता, और धार्मिकता के प्रश्नों के समझ में मदद मिलती है। यहां पर मानसिक प्रक्रियाओं, विचारों, और भावनाओं के संबंधों की गहरी समझ का महत्व होता है।
इस तरह, दर्शनशास्त्र मनोविज्ञान के साथ मिलकर मानव मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान करता है और मानव ध्यान, आत्मज्ञान, और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में हमारे ज्ञान को विस्तारित करता है।
मनोवैज्ञानिक समस्याओं के वैज्ञानिक अध्ययन का आरम्भ
मनोवैज्ञानिक समस्याओं के वैज्ञानिक अध्ययन का आरंभ कई सदियों से हो रहा है, और यह एक विकस्त और प्रतिस्थापनात्मक तरीके से विकसित हुआ है। निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण मिलकर मनोवैज्ञानिक अध्ययन के मील के पत्थर हैं:
- स्थापित विज्ञानिक प्रक्रिया: मनोवैज्ञानिक अध्ययन का आरंभ विज्ञानिक अध्ययन की प्रक्रिया का हिस्सा है। यह अनुसंधान के विधियों, उपकरणों, और विश्लेषण के स्टैंडर्डों की परिभाषा करने में मदद करता है जो मानसिक प्रक्रियाओं की मापन के लिए उपयुक्त होते हैं।
- प्रारंभिक अध्ययन: मनोवैज्ञानिक अध्ययन का आरंभ प्रारंभिक अध्ययनों से होता है, जिसमें अनुसंधानकर्ता समस्या को पहचानने और परिभाषित करने का प्रयास करते हैं। इसमें समस्या के बारे में पूर्व अनुसंधान की समीक्षा और सूचना संग्रहण शामिल होते हैं।
- प्रयोगात्मक अध्ययन: अध्ययन के बाद, मनोवैज्ञानिक अध्ययन प्रयोगात्मक अध्ययन का भी हिस्सा हो सकता है, जिसमें नवाचारिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है और तथ्य प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
- आनुवांशिक अध्ययन: आनुवांशिक अध्ययन का आरंभ भी महत्वपूर्ण है, जिसमें विभिन्न जीनोमिक, ब्रेन इमेजिंग, और न्यूरोसाइंस तकनीकों का उपयोग मानसिक प्रक्रियाओं के न्यूरोलॉजिकल आधार की समझ के लिए किया जाता है।
- विवेकानुवेक (Meta-analysis) और सिंथेसिस: विवेकानुवेक और सिंथेसिस का अध्ययन समस्या के विभिन्न पहलुओं को संग्रहित करने और अध्ययन के परिणामों को एकत्र करने में मदद करता है, जिससे आध्यात्मिक, प्राकृतिक, और विज्ञानिक दृष्टिकोण से मानसिक समस्याओं की समझ में मदद मिलती है।
मनोवैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से हम मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक बीमारियाँ, व्यक्तिगत विकास, और मानव व्यवहार के कई पहलुओं की समझ को बढ़ावा देते हैं, जिससे हम समस्याओं के समाधान का मार्ग तय कर सकते हैं और मानवों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। एवं शाखाएँ
सम्प्रदाय एवं शाखाएँ
मनोविज्ञान कई सम्प्रदायों और शाखाओं में विभाजित होता है, जिनमें मानसिक प्रक्रियाओं, मानसिक स्वास्थ्य, और मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। निम्नलिखित हैं कुछ मनोविज्ञान के प्रमुख सम्प्रदाय और शाखाएँ:
- क्लिनिकल मनोविज्ञान: क्लिनिकल मनोविज्ञान मानसिक बीमारियों और अस्वास्थ्य स्वाभाविकताओं के विज्ञानिक अध्ययन के साथ साथ इनके चिकित्सा उपचार का अध्ययन करता है। इसमें क्लिनिकल प्साइकोलॉजी, प्साइकिएट्री, और संबंधित क्षेत्रों का अध्ययन शामिल होता है।
- मनोविज्ञानी शास्त्र (Cognitive Science): मनोविज्ञानी शास्त्र मानसिक प्रक्रियाओं की विश्लेषण में विभाजित होता है और इसमें कॉग्निटिव प्साइकोलॉजी, कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस, कॉग्निटिव लिंग्विस्टिक्स, और कॉग्निटिव नैरोसाइंस की शाखाएं शामिल होती हैं। इसमें मानव मानसिक प्रक्रियाओं के कैसे काम करते हैं का अध्ययन होता है।
- सांकेतिक और मनोवैज्ञानिक तंत्र (Neuroscience): यह शाखा मानसिक प्रक्रियाओं के न्यूरोलॉजिकल और ब्रेन की माध्यमिक आधार की तरफ देखती है। इसमें न्यूरोसाइंस, न्यूरोपसाइकोलॉजी, और न्यूरोइमेजिंग की शाखाएँ शामिल हैं।
- व्यक्तिगतता और सामाजिक मनोवैज्ञानिक शास्त्र (Personality and Social Psychology): इसमें व्यक्तिगत और सामाजिक प्रक्रियाओं, व्यक्तिगतता और सामाजिक व्यवहार के मानसिक पहलुओं का अध्ययन होता है। यह शाखा मानव व्यवहार के सामाजिक पहलुओं की समझ करने के लिए प्रयासरत है।
- विकासात्मक मनोविज्ञान (Developmental Psychology): विकासात्मक मनोविज्ञान मानव विकास के विभिन्न चरणों की शान्ति का अध्ययन करता है, जिसमें बचपन, किशोरावस्था, और वयस्कता शामिल होते हैं।
- व्यावसायिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान (Industrial and Organizational Psychology): यह शाखा मनोविज्ञान को व्यावसायिक और संगठनात्मक प्रक्रियाओं, कार्यालय वातावरण, और कर्मचारी संबंधों के माध्यम से देखती है।
- स्पोर्ट्स और मनोविज्ञान (Sports Psychology): इस शाखा में मानोविज्ञान के अध्ययन का विशेष ध्यान खेल और खिलाड़ियों के मानसिक पहलुओं में दिया जाता है।
ये कुछ मुख्य मनोविज्ञान के सम्प्रदाय और शाखाएँ हैं, जो विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं और मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं की समझ करने के लिए अध्ययन करती हैं। इन सम्प्रदायों और शाखाओं के माध्यम से हम मानव जीवन और मानसिक प्रक्रियाओं के गहरे सिद्धांतों की समझ में मदद करते हैं।
स्वरूप एवं कार्यक्षेत्र
मनोविज्ञान (Psychology) मानव मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, और मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन करने वाला एक गहरा और विशेषज्ञता क्षेत्र है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं की समझना, प्राकृतिक और विचारशील दृष्टिकोण से तालमेल रखते हुए। यहाँ पर मनोविज्ञान का स्वरूप और कार्यक्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जा रही है:
मनोविज्ञान के स्वरूप (Scope of Psychology):
- कार्यालयी और व्यक्तिगत विकास (Developmental Psychology): इस कार्यक्षेत्र में मानोविज्ञान बच्चों से लेकर वयस्कों तक के व्यक्तिगत विकास की समझ करता है।
- मानोविज्ञानी शास्त्र (Cognitive Science): यह क्षेत्र मानव मानसिक प्रक्रियाओं के कैसे काम करते हैं का अध्ययन करता है, जैसे कि ध्यान, स्मृति, निर्णय लेने की क्षमता, और औरती बुद्धि।
- सांकेतिक और मनोविज्ञानिक तंत्र (Neuroscience): यह क्षेत्र मानसिक प्रक्रियाओं के न्यूरोलॉजिकल आधार का अध्ययन करता है, और ब्रेन की विभिन्न क्षेत्रों की सांकेतिक क्रियाओं का परीक्षण करता है।
- सामाजिक और व्यक्तिगत मनोविज्ञान (Social and Personality Psychology): यह क्षेत्र मानव व्यवहार के सामाजिक पहलुओं और व्यक्तिगतता के प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है, जैसे कि समाजिक प्रेरणा, व्यक्तिगतता स्वाभाव, और व्यक्तिगत धार्मिकता।
- क्लिनिकल मनोविज्ञान (Clinical Psychology): इस क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक बीमारियों, और उनके उपचार का अध्ययन किया जाता है, और यहाँ परियोजनाएँ और चिकित्सा तकनीकों का विकास भी किया जाता है।
- व्यावसायिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान (Industrial and Organizational Psychology): यह क्षेत्र कार्य संगठनों, व्यक्तिगत व्यवहार, और कर्मचारी संबंधों का अध्ययन करता है, और व्यावसायिक प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए उपाय देता है।
मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र (Fields of Psychology):
- कल्चरल प्साइकोलॉजी (Cultural Psychology): इस कार्यक्षेत्र में विभिन्न संस्कृतियों और समाजों के मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, और यहाँ सामाजिक और सांस्कृतिक अंतर मानसिकता पर कैसे प्रभाव डालते हैं इसका अध्ययन होता है।
- स्पोर्ट्स प्साइकोलॉजी (Sports Psychology): इस कार्यक्षेत्र में खेल और खिलाड़ियों के मानसिक प्रक्रियाओं, प्रदर्शन उत्कृष्टता, और मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाता है, और खिलाड़ियों के मानसिक तैयारी को बेहतर बनाने के उपाय ढूँढे जाते हैं।
- कार्योत्तेजकता प्साइकोलॉजी (Forensic Psychology): इस कार्यक्षेत्र में न्यायिक प्रक्रियाओं, अपराधिक मानसिक स्वास्थ्य, और विचारात्मक साक्षरता के क्षेत्र में मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, और यह सुनवाई और विचारात्मक आंकलन के लिए मदद करता है।
- सेहत प्साइकोलॉजी (Health Psychology): इस कार्यक्षेत्र में बिमारियों, स्वास्थ्य व्यवहारों, और रोग-रोगी संबंधों के मानसिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, और स्वास्थ्य सुधारने के लिए मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के तरीकों का पता लगाने का काम किया जाता है।
मनोविज्ञान के इन कार्यक्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं को अलग-अलग प्रकार के तरीकों का अध्ययन करना पड़ता है, जिससे वे मानसिक प्रक्रियाओं और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में गहरी समझ प्राप्त कर सकते हैं और उपयुक्त उपाय ढूँढ सकते हैं।
जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान
जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान (Lifespan Developmental Psychology) एक शाखा है जो मानव विकास को जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी चरणों में अध्ययन करती है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामाजिक प्रक्रियाओं के परिवर्तन को समझने के माध्यम से मानव विकास की समझ में मदद करना है। यह शाखा बच्चों, किशोरों, वयस्कों, और वृद्धों के विकास के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करती है।
जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान के कुछ मुख्य बिंदुः
- विकास के चरण (Developmental Stages): यह शाखा बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था, मध्यवयस्कावस्था, और वृद्धावस्था जैसे विभिन्न विकास के चरणों का अध्ययन करती है। इन चरणों में व्यक्तिगत और सामाजिक प्रक्रियाओं में कैसे परिवर्तन होते हैं, यह समझाने का प्रयास किया जाता है।
- विकास के प्रकार (Types of Development): जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान न्यातीत (historical), सांविदानिक (normative), और अनूठे (idiosyncratic) विकास के प्रकारों का अध्ययन करती है।
- मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health): इसमें मानसिक स्वास्थ्य के विकास के प्रत्येक चरण में मानसिक समस्याओं की पहचान, समझ, और उपचार के लिए काम किया जाता है।
- सामाजिक और व्यक्तिगत विकास (Social and Personality Development): यह शाखा व्यक्तिगतता विकास, समाजिक प्रेरणा, सामाजिक समस्याएं, और सामाजिक समर्थन के प्रभाव का अध्ययन करती है।
- शिक्षा और प्रशासनिक मनोविज्ञान (Educational and Administrative Psychology): इस शाखा में शिक्षा संस्थानों और संगठनों के अध्यापन, प्रबंधन, और संचालन के प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है और उन्हें बेहतर बनाने के तरीकों का पता लगाने का काम किया जाता है।
- प्रौद्योगिकी मनोविज्ञान (Technological Psychology): यह शाखा मानवों के तकनीकी प्रयोग में मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है, जैसे कि उपयोगकर्ता अनुभव और डिज़ाइन के प्रभाव का अध्ययन।
जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञानके अध्ययन से हम मानव विकास के प्रत्येक पहलू को समझ सकते हैं, जिससे सामाजिक और प्रौद्योगिकी दृष्टि से उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है और समय के साथ व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूँढने में मदद मिलती है।
मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान
मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human Experimental Psychology) मनोविज्ञान की एक शाखा है जो विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, और मानसिक स्वास्थ्य के विशिष्ट पहलुओं का अध्ययन करती है, और इसके लिए प्रयोग और अनुसंधान करती है। इस शाखा के अंतर्गत अनुसंधानकर्ता प्रयोग और अध्ययन के माध्यम से तथ्यों का संग्रह करते हैं, ताकि मानव मानसिक प्रक्रियाओं के कारणों और परिणामों को समझ सकें।
मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के बारे में कुछ मुख्य बिंदुः
- प्रयोगात्मक अनुसंधान (Experimental Research): इस शाखा के अंतर्गत प्रयोग के माध्यम से अनुसंधान किया जाता है, जिसमें विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं और व्यवहार के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत प्रयोग डिज़ाइन, उपकरण, और मापन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन: मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का प्रमुख केंद्र होता है। यहाँ पर ध्यान, स्मृति, निर्णय लेने की क्षमता, भाषा प्रक्रिया, और अधिगम की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
- न्यूरोसाइंस और न्यूरोप्साइकोलॉजी: इसमें न्यूरोसाइंस के प्रिंसिपल्स के साथ ब्रेन और न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। यह शाखा न्यूरोन्स, सिनाप्स, और ब्रेन के विभिन्न हिस्सों के संबंध में अध्ययन करती है।
- मानव प्रयोग का निगरानी (Observational Studies): यह अध्ययनकर्ताओं को लोगों के व्यवहार को निगरानी करने की अनुमति देता है बिना किसी प्रयोग को बदले। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामाजिक प्रक्रियाओं को बेहतर से समझना है।
- सामाजिक और पर्याप्तिता प्रयोग (Social and Applied Psychology): इस शाखा में व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है, और यह उपाय ढूँढती है ताकि समाज को और व्यक्तियों को बेहतर से समझा जा सके।
मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञानके कार्यक्षेत्र में अनुसंधानकर्ताओं का उद्देश्य मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं को समझने और सुधारने के तरीकों को जांचना और विकसित करना होता है। इसका अध्ययन हमें मानव व्यवहार के पीछे के कारणों को समझने और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।
पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान
पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान, जिसे अक्सर “पशु चित्रण विज्ञान” भी कहा जाता है, मानव या पशु मानोविज्ञान के प्रिंसिपल्स का अध्ययन करने के लिए पशु प्रयोग का उपयोग करता है। इसका उद्देश्य पशुओं के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाएँ, और मानसिक स्वास्थ्य को समझने में मदद करना है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान अनुसंधानकर्ताओं को पशुओं के द्वारा मानव मानसिक प्रक्रियाओं की अध्ययन करने का मॉडल प्रदान करता है और मानव मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार के प्रधान प्रभाव को समझने में मदद करता है।
पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत कुछ मुख्य क्षेत्र शामिल हो सकते हैं:
- पशुओं के व्यवहार का अध्ययन: पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान विशेष रूप से पशुओं के व्यवहार की समझ के लिए पशु प्रयोग का उपयोग करता है। यहां तक कि पशुओं के सामाजिक और संगठनात्मक व्यवहार को भी अध्ययन किया जाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य के अध्ययन: पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के मानसिक समस्याओं का अध्ययन किया जा सकता है, जैसे कि डिप्रेशन, आंशिक रूप से विचारात्मक रूप से बुद्धिकता, और चिंता।
- व्यवहार परिणामों का अध्ययन: पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान अध्ययनकर्ताओं को व्यवहार के परिणामों को समझने में मदद कर सकता है, जैसे कि प्रशंसा, शिकार और खुशी के अंदर के घटकों का पता लगाना।
- न्यूरोसाइंस के अध्ययन: इस शाखा में पशुओं के न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जो उनके व्यवहार पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का उपयोग अनुसंधान और शिक्षा के कई क्षेत्रों में किया जाता है, और यह मानव मानसिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करने के लिए एक और महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है।
दैहिक मनोविज्ञान
दैहिक मनोविज्ञान (Physiological Psychology), जिसे फिजिओलॉजिकल प्साइकोलॉजी भी कहा जाता है, मनोविज्ञान की एक शाखा है जो भौतिकी प्रक्रियाओं और मानव व्यवहार के बीच के संबंधों का अध्ययन करती है। इसका उद्देश्य मानसिक प्रक्रियाओं के न्यूरोलॉजिकल, बायोलॉजिकल, और दैहिक कारकों को समझने में मदद करना है, और यह समझने का प्रयास करता है कि मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाएँ कैसे शारीरिक प्रक्रियाओं से प्रभावित होती हैं।
दैहिक मनोविज्ञान के कुछ मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
- न्यूरोसाइंस (Neuroscience): इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा न्यूरोसाइंस है, जिसमें न्यूरोन्स (न्यूरोन्स) और उनके ब्रेन में कैसे काम करते हैं का अध्ययन किया जाता है।
- ब्रेन की स्कैनिंग (Brain Imaging): दैहिक मनोविज्ञान में ब्रेन की स्कैनिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि MRI (Magnetic Resonance Imaging), fMRI (functional Magnetic Resonance Imaging), PET (Positron Emission Tomography) आदि, जिससे विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं के दौरान ब्रेन की गतिविधियों का अध्ययन किया जा सकता है।
- एन्दोक्राइनोलॉजी (Endocrinology): इसमें भौतिकी प्रक्रियाओं के अध्ययन के साथ-साथ हार्मोनों के प्रभाव पर भी ध्यान दिया जाता है, जो शरीर के रसायनिक संवेगनों के रूप में कार्य करते हैं।
- सेंसरी प्रोसेसिंग (Sensory Processing): इसके अंतर्गत ब्रेन की गतिविधियों को संवेगनों और इंद्रियों से कैसे प्रभावित किया जाता है, उसका अध्ययन किया जाता है।
- समय-दैहिक गतिविधियाँ (Chronobiology): यह अध्ययन समय के साथ बदलती बायोलॉजिक प्रक्रियाओं को शामिल करता है, जैसे कि दिन-रात की गतिविधियाँ और अन्य समय-दैहिक रुझान।
दैहिक मनोविज्ञान का अध्ययन हमें मानव मानसिक प्रक्रियाओं और व्यवहार को शारीरिक प्रक्रियाओं के साथ जोड़कर समझने में मदद करता है, और यह मानव व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य के अध्ययन को और भी गहरा बना सकता है।