
काव्यशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अलंकार है जो कविता और गीति रचना में प्रयुक्त होता है। छंद अलंकार का मुख्य उद्देश्य कविता की सृजनात्मकता और उसके भावनात्मक प्रभाव को बढ़ावा देना है।
यह अलंकार शब्दों के विशेष प्रवृत्ति और आवाज़िक प्रभाव को दर्शाने के लिए कविता के वाक्य और पंक्तियों की सार्थक व्यापकता में परिणत होता है। छंद अलंकार के प्रकार होते हैं, जैसे कि यमक, अनुप्रास, गगन-छंद, तुकड़ी छंद, वृत्त छंद, और मात्रा-छंद, जो विभिन्न प्रकार की वचनाएँ और विभाग को प्रकट करते हैं।
छंद अलंकार का उपयोग कविता में किया जाता है ताकि उसे सुंदर, सुरीला, और मनोहारी बनाया जा सके, जिससे पठकों को भाषा की रचना की रिच और सुंदरता का अनुभव होता है। छंद अलंकार के प्रयोग से कविता में एक निश्चित ताल और ढंग की स्थापना की जाती है, जिससे व्यक्तिगतता और भावनाओं का सुंदर प्रकट होता है।
विषय सूची
छंद और अलंकार हिन्दी कविता और पद्यरचना के महत्वपूर्ण तत्व हैं
01 छंद (Meter):
एक कविता या पद्यरचना के शब्दों की गणना और उनके व्यवस्थित रूप में व्यवस्थित करने का तरीका है। यह शब्दों की मात्राओं की संख्या और उनके व्यवस्थित पैटर्न को निर्दिष्ट करने में मदद करता है, जिससे एक कविता की लहर (या ताल) बनती है। विभिन्न प्रकार के छंद होते हैं जो विभिन्न भाषाओं और कविता शैलियों में प्रयुक्त होते हैं।
यहां कुछ प्रमुख छंदों की उपरोक्त उल्लेख किए गए हैं:
- श्रुति छंद (Shruti Chand): इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना होती है, और प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या सामान्य रूप से फिक्स होती है (जैसे कि आठ मात्राएँ प्रत्येक पंक्ति में होती हैं)।
- मात्रा-छंद (Matra Chand): इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना होती है, लेकिन मात्रा संख्या विचारपूर्ण रूप से निर्धारित नहीं होती, जो कविता की ताल को प्रतिष्ठापित करता है।
- गगन-छंद (Gagan Chand): इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या धीमे ताल के साथ घटती है, जैसे कि प्रत्येक पंक्ति में एक ही मात्रा कम होती है।
- तुकड़ी छंद (Tukdi Chand): इसमें कविता की प्रत्येक पंक्ति एक-एक तुकड़े में बाँटी जाती है, और प्रत्येक तुकड़े का निश्चित मात्रा या ध्वनिक संरचना होती है।
छंद का उपयोग कविता और पद्यरचना के संरचना में और भाषा की सुंदरता में मदद करता है, जिससे कविता की ध्वनि और ताल को बनाए रखने में मदद मिलती है।
श्रुति छंद (Shruti Chand)
एक प्रमुख कविता छंद का एक रूप है जो हिन्दी कविता में प्रयुक्त होता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना की जाती है और प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या सामान्य रूप से फिक्स होती है। श्रुति छंद में प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या ८ होती है। इसलिए, हर पंक्ति में आठ मात्राएँ होती हैं।
श्रुति छंद का उपयोग विभिन्न प्रकार की कविताओं और गीतों में किया जाता है और यह एक निश्चित ताल को प्रतिष्ठापित करने में मदद करता है। यह छंद हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध है और कई मशहूर कवियों और गीतकारों द्वारा प्रयुक्त किया गया है।
श्रुति छंद का उदाहरण:
चाँदनी रातें, चित्रकार की आँखों में,
सपनों की दुकान, गीतों की बोटलों में।
इस उदाहरण में, प्रत्येक पंक्ति में आठ मात्राएँ हैं, जो श्रुति छंद की विशेषता है।
वृत्त छंद (Vritta Chand)
भारतीय काव्यशास्त्र में पाया जाने वाला एक प्रमुख काव्यछंद है, जिसमें प्रत्येक पंक्ति की अक्षर मात्रा संख्या का स्थिर और नियमित पैटर्न होता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं का पैटर्न बराबर रहता है, लेकिन यह पैटर्न विभिन्न विधियों में हो सकता है।
वृत्त छंद के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि मात्रा-वृत्त, स्वर-वृत्त, गगन-वृत्त, आदि। इन प्रकारों में प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या का नियमित और आदर्शित पैटर्न होता है।
उदाहरण के रूप में, यदि हम एक मात्रा-वृत्त छंद का उदाहरण देखें, तो यह निम्नलिखित रूप में हो सकता है:
पंक्ति 1: जननंतरं गुरुणाथं वन्दे पंक्ति 2: योगींद्रं योगभास्करं वन्दे
इस उदाहरण में, प्रत्येक पंक्ति में पाँच मात्राएँ हैं, जिसका पैटर्न नियमित है। यह वृत्त छंद का एक प्रकार हो सकता है।
वृत्त छंद का प्रयोग हिंदी कविता, गीत, और पद्यरचनाओं में किया जाता है ताकि पंक्तियों की रचना में सामंजस्य और सुंदरता हो।
मात्रा-छंद (Matra Chand):
एक प्रमुख काव्यछंद है जो कविता या पद्यरचना में प्रयुक्त होता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना होती है, लेकिन मात्रा संख्या विचारपूर्ण रूप से निर्धारित नहीं होती है, जो कविता की ताल को प्रतिष्ठापित करता है।
मात्रा-छंद में मात्राओं की गणना वर्णमाला के अक्षरों की आधारित होती है, जिसमें हर अक्षर को उसकी मात्रा के रूप में गणना किया जाता है। यह छंद हिन्दी कविता में आमतौर पर पाया जाता है और इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना का पैटर्न निर्धारित नहीं होता, लेकिन वाक्यरचना और ध्वनिक गुणन के अलावा भावनाओं और विचारों को प्रकट करने में मदद करता है।
उदाहरण के रूप में, एक मात्रा-छंद की पंक्ति कुछ इस प्रकार हो सकती है:
- प्यास की आग में, बरसात की बूँदें खुदाईं।
- इस पंक्ति में, प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना वर्णमाला के अक्षरों की मात्रा के आधार पर होती है, जिससे यह एक मात्रा-छंद की पंक्ति होती है।
- सपनों की दुकान, हँसी की बरसात का संगीत।
- इस पंक्ति में भी, प्रत्येक पंक्ति की मात्राओं की गणना वर्णमाला के अक्षरों की मात्रा के आधार पर होती है, और यह एक मात्रा-छंद की पंक्ति होती है।
मात्रा-छंद का प्रयोग कविता और पद्यरचना में कविता की लहर और ताल को अनुकूलित करने में किया जाता है, जिससे कविता का ध्वनिक रूप बनता है और पठकों को उसकी बातों को समझने में मदद मिलती है।
गगन-छंद (Gagan Chand):
एक प्रमुख काव्यछंद है जो कविता या पद्यरचना में प्रयुक्त होता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या धीमे ताल के साथ घटती है, जिससे कविता की ताल को प्रतिष्ठापित किया जाता है। इस छंद का उपयोग विभिन्न भाषाओं और कविता शैलियों में किया जाता है, और यह कविता के अर्थ, भावनाओं, और ध्वनियों को सुंदरता से प्रकट करने में मदद करता है।
गगन-छंद में प्रत्येक पंक्ति की मात्रा संख्या धीमे ताल के साथ घटती है, जैसे कि प्रत्येक पंक्ति में एक ही मात्रा कम होती है। इसका परिणाम होता है कि कविता की प्रत्येक पंक्ति में ध्वनिक रूप में एक छवि बनती है, और यह छंद कविता के पठकों को एक सामंजस्यपूर्ण और तालमेली अनुभव प्रदान करता है।
उदाहरण के रूप में, एक गगन-छंद की पंक्ति कुछ इस प्रकार हो सकती है:
काव्य की शोभा, उदयकाल की छाया।
- इस पंक्ति में, प्रत्येक पंक्ति में एक ही मात्रा कम होती है, जिससे यह गगन-छंद की पंक्ति होती है।
गगन-छंद का प्रयोग कविता और पद्यरचना में कविता की ताल को अनुकूलित करने और ध्वनिक गुणन के अलावा भावनाओं और विचारों को सुंदरता से प्रकट करने में मदद करता है।
तुकड़ी छंद (Tukdi Chand):
एक प्रमुख काव्यछंद है जो कविता या पद्यरचना में प्रयुक्त होता है। इसमें कविता की प्रत्येक पंक्ति को छोटे तुकड़ों में बाँट दिया जाता है, जिनमें प्रत्येक तुकड़े का निश्चित मात्रा या ध्वनिक संरचना होती है। इसका परिणाम होता है कि कविता की प्रत्येक पंक्ति एक छवि या ध्वनिक चित्र के रूप में प्रकट होती है, और यह छंद कविता के पठकों को उसकी बातों को सुंदरता से समझने में मदद करता है।
तुकड़ी छंद में प्रत्येक पंक्ति को तुकड़ों में बाँट दिया जाता है, और प्रत्येक तुकड़े का निश्चित मात्रा या ध्वनिक संरचना होती है, जैसे कि तुकड़े में सात सरल मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण के रूप में, एक तुकड़ी छंद की पंक्ति कुछ इस प्रकार हो सकती है:
- आसमान की ऊँचाइ़यों से गिरी हुई बूँदें,
- इस पंक्ति में, प्रत्येक तुकड़े में सात सरल मात्राएँ होती हैं, जिससे यह तुकड़ी छंद की पंक्ति होती है।
- सपनों की दुकान में, बिल्कुल सौर मंडल बिक रहा था,
- इस पंक्ति में भी, प्रत्येक तुकड़े में सात सरल मात्राएँ होती हैं, और यह तुकड़ी छंद की पंक्ति होती है।
तुकड़ी छंद का प्रयोग कविता और पद्यरचना में कविता की ताल को अनुकूलित करने और ध्वनिक गुणन के अलावा भावनाओं और विचारों को सुंदरता से प्रकट करने में मदद करता है, और पठकों को उसकी कविता के प्रत्येक हिस्से को समझने में मदद करता है।
02 अलंकार (Alankara)
भाषा और साहित्य में उपमा के रूप में प्रयुक्त होने वाले सुन्दरता और व्यक्तिगतता के तत्व होते हैं। ये साहित्यिक उपकरण हैं जो भाषा को रूपांतरित करके वाक्यों और शब्दों को अधिक व्यक्तिगत और रसमय बनाते हैं। अलंकार का प्रयोग कविता, प्रोज़, गीत, और अन्य लेखनिक कामों में किया जाता है ताकि उन्हें सुंदर, प्रभावी, और भावनात्मक बनाया जा सके।
कुछ प्रमुख अलंकार होते हैं:
- सिमिली (Simile): इसमें दो वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है, जिससे व्यक्ति के गुण, स्वभाव, या स्थिति को समझाने में मदद मिलती है। उसी तरह की “की तरह” या “जैसे” के शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण: “उसकी हँसी सोमनाथ के मन्दिर की तरह चमक रही थी।”
- मेताफौर (Metaphor): इसमें एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ तुलित किया जाता है, बिना “की तरह” या “जैसे” के शब्दों का प्रयोग किए। इससे अधिक सक्षमता और प्रभाव प्राप्त होता है। उदाहरण: “वह शेर था, जिसकी नजरें शिकार पर हमेशा लगी रहती थीं।”
- अपनी (Personification): इसमें अजीब वस्तुओं, जानवरों, या प्राकृतिक तत्वों को मानव गुणों और कार्यों के साथ प्रदर्शित किया जाता है। इससे वस्तुओं को जीवंत और व्यक्तिगत बनाया जाता है। उदाहरण: “हवा बोली, ‘मैं अपने पाँवों पर बढ़ता हूँ और सबको अच्छा लगता है।'”
- अल्लिटेरेशन (Alliteration): इसमें एक ही ध्वनि के शब्दों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया जाता है, जिससे वाक्य अधिक मेल खाते हैं और ध्वनिक प्रभाव बढ़ता है। उदाहरण: “सुस्त शहर की सुबह सुनसान थी।”
- अनुप्रास (Assonance): इसमें वर्णों की आपसी ध्वनि का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया जाता है, जिससे वाक्य में सुरमा का ध्वनिक वातावरण बनता है। उदाहरण: “मेरे दिल में तेरी यादें बसी हुई हैं।”
- हिंसामुक्ति (Hyperbole): इसमें भाषा के द्वारा अत्यधिक विस्तार या व्यापकता का वर्णन किया जाता है, जिससे प्रभाव और मजाक पैदा होता है। उदाहरण: “वह आज इतनी गर्मी में बर्फ खा रहा था कि मेरे कान में आवाज़ आ रही थी।”
- छिपी आंख (Irony): इसमें शब्दों के अर्थ का विपरीत अर्थ प्रकट किया जाता है, जिससे व्यक्ति का संवाद या कविता में आलोचना की जाती है। उदाहरण: “वह सबसे बुद्धिमान आदमी था, लेकिन उसके पास सिर्फ एक ही गुण हरामी था।”
ये अलंकार केवल कुछ हैं, और साहित्य में अन्य भी अनेक प्रकार के अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इन्हें सुदृढ़ता, रस, और भाषा को रूपांतरित करने के उपकरण के रूप में देखा जा सकता है, जो लेखकों को उनके लेखनिक काम में और अधिक प्रभावी बनाते हैं।
सिमिली (Simile)
एक अलंकार (Figure of Speech) है जो भाषा का उपयोग कविता, प्रोज़, गीत, और अन्य लिखित भाषाई कामों में किया जाता है। सिमिली में दो या दो से अधिक वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है, जिससे विशेष तरीके से किसी विचार या व्यक्ति के गुण, स्वभाव, या स्थिति को समझाने में मदद मिलती है। सामान्यत: “की तरह” या “जैसे” के साथ किसी तुलना की जाती है।
यहां कुछ सिमिली के उदाहरण हैं:
- उसकी हँसी सोमनाथ के मन्दिर की तरह चमक रही थी।
- इस सिमिली में, किसी की हँसी को सोमनाथ के मन्दिर की चमक के साथ तुलित किया गया है, जिससे यह अद्भुतता और महत्वपूर्णता का भाव प्रकट होता है।
- वह दिन था कि उसके दिल कुछ फूलों की तरह हरित था।
- इस सिमिली में, व्यक्ति के दिल को फूलों की तरह तुलित किया गया है, जिससे उसके दिल की स्वच्छता और सुंदरता का संदेश मिलता है।
- उसके होठ गुलाब के पत्तों की तरह लाल थे।
- इस सिमिली में, किसी के होठों को गुलाब के पत्तों के साथ तुलित किया गया है, जिससे उनकी रंगीनता और सौंदर्य का वर्णन किया गया है।
सिमिली का प्रयोग कविता और लेखन में छवियों को स्पष्ट करने, अद्भुतता जोड़ने, और पाठकों को बात को विस्तार से समझाने के लिए किया जाता है, जिससे भाषा रूपी चुनौतियों का उपयोग किसी भी व्यक्ति के भावनाओं और विचारों को सुंदरता से व्यक्त करने में मदद करता है।
मेताफौर (Metaphor):
एक अलंकार है जिसमें एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ तुलित किया जाता है, बिना “की तरह” या “जैसे” के शब्दों का प्रयोग किए। इससे अधिक सक्षमता और प्रभाव प्राप्त होता है क्योंकि यह विशेषता को स्पष्ट और प्रभावशाली तरीके से प्रकट करता है। मेताफौर का प्रयोग कविता, प्रोज़, गीत, और अन्य लेखनिक कामों में किया जाता है ताकि उन्हें सुंदर, प्रभावी, और भावनात्मक बनाया जा सके।
मेताफौर का प्रयोग करते समय, एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ तुलित किया जाता है, जिससे वाक्यों और पंक्तियों में विशेषता और रस उत्पन्न होता है। मेताफौर की मद्दत से व्यक्ति के गुण, गतिविधियां, स्वभाव, या स्थिति को समझाने में मदद मिलती है और विचारों और भावनाओं को सुंदरता से प्रकट करने में मदद करती है।
उदाहरण:
- “वह समुंदर है, जो हर समय अपनी लहरों में सपने लेकर आता है।”
- इस प्रकार, समुंदर को सपनों की तरह वर्णित किया गया है, जिससे समुंदर की गहराई और अद्वितीयता का प्रकट होता है।
- “वह लोमड़ी है, जिसके आगे हर शेर हार जाता है।”
- इस प्रकार, लोमड़ी को शेर की तरह वर्णित किया गया है, जिससे लोमड़ी की चालाकी और साहस का प्रकट होता है।
मेताफौर का प्रयोग कविता और पद्यरचना में कविता की व्यक्तिगत और विशेषता भरी भाषा और व्याकरण को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, जिससे पठकों को व्यक्तिगतता और अधिक सुंदर अनुभव प्राप्त होता है।
अपनी (Personification):
एक अलंकार है जिसमें अजीब वस्तुओं, जानवरों, प्राकृतिक तत्वों, या अवस्थाओं को मानव गुणों और कार्यों के साथ प्रदर्शित किया जाता है। इसका मतलब है कि अपनी के माध्यम से वस्तुओं को जीवंत और व्यक्तिगत बनाया जाता है, जिससे पठकों को उनकी विशेषता और व्यक्तित्व को अधिक समझने में मदद मिलती है।
अपनी के माध्यम से, अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं को मानव गुणों और कार्यों के साथ वर्णित किया जाता है, जिससे वाक्यों और पंक्तियों में व्यक्ति का आभास होता है।
उदाहरण:
- “हवा बोली, ‘मैं अपने पाँवों पर बढ़ता हूँ और सबको अच्छा लगता है।'”
- इस प्रकार, हवा को जैसे वो एक व्यक्ति हो, उसने व्यक्त किया गया है, और उसका व्यक्तिगत स्वभाव वर्णित किया गया है।
- “रात की आँखों में सितारे मुस्करा रहे थे।”
- इस प्रकार, सितारों को मानव गुणों जैसे मुस्कराने के रूप में प्रकट किया गया है, जिससे सितारों का ध्वनिक और व्यक्तिगत चित्र बनता है।
अपनी का प्रयोग कविता, पद्यरचना, और कथाओं में किया जाता है ताकि वस्तुओं, प्राकृतिक तत्वों, और अवस्थाओं को जीवंत और व्यक्तिगत बनाया जा सके, जिससे पठकों को विशेषता और व्यक्तित्व को समझने में मदद मिलती है।
अल्लिटेरेशन (Alliteration)
एक अलंकार है जिसमें एक ही ध्वनि के शब्दों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया जाता है, जिससे वाक्य अधिक मेल खाते हैं और ध्वनिक प्रभाव बढ़ता है। इसका मतलब है कि एक ही पंक्ति में आपसी समान ध्वनि वाले शब्दों का उपयोग किया जाता है, जिससे वाक्यों में एक प्रकार का रौद्र या ध्वनिक प्रभाव उत्पन्न होता है।
अल्लिटेरेशन का उपयोग कविता, प्रोज़, और अन्य लेखनिक कामों में किया जाता है ताकि वाक्यों में सुरमा का ध्वनिक वातावरण बन सके और ध्वनिक प्रभाव बढ़ सके। यह अलंकार कविता की ध्वनिक रूपरेखा को बढ़ावा देता है और शब्दों को एक प्रकार के ध्वनिक और सुंदर छवि में प्रस्तुत करता है।
उदाहरण:
- “सुस्त शहर की सुबह सुनसान थी।”
- इस पंक्ति में, “स” ध्वनि के शब्दों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया गया है, जिससे अल्लिटेरेशन का प्रयोग किया गया है।
- “चाँदनी रात की चमक चुराई आँखों को।”
- इस पंक्ति में, “च” ध्वनि के शब्दों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया गया है, जिससे अल्लिटेरेशन का प्रयोग किया गया है।
अल्लिटेरेशन का प्रयोग शायरी, कविता, और पद्यरचना में किया जाता है ताकि शब्दों का उच्चारण और व्यक्तिगतता में रौद्र और ध्वनिक प्रभाव उत्पन्न हो सके।
अनुप्रास (Assonance) :-
एक अलंकार है जिसमें वर्णों की आपसी ध्वनि का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया जाता है, जिससे वाक्य में सुरमा का ध्वनिक और व्यक्तिगत प्रभाव उत्पन्न होता है। इसका मतलब है कि एक ही पंक्ति में आपसी समान ध्वनि वाले वर्णों का उपयोग किया जाता है, जिससे वाक्यों में ध्वनिक मेल खाते हैं और ध्वनिक प्रभाव बढ़ता है।
अनुप्रास का प्रयोग कविता, प्रोज़, और अन्य लेखनिक कामों में किया जाता है ताकि वाक्यों में सुरमा का ध्वनिक वातावरण बन सके और ध्वनिक प्रभाव बढ़ सके। यह अलंकार कविता की ध्वनिक रूपरेखा को बढ़ावा देता है और शब्दों को एक प्रकार के ध्वनिक और सुंदर छवि में प्रस्तुत करता है।
उदाहरण:
- “वे जलमगर जल में छुपे हुए थे।”
- इस पंक्ति में, “जल” ध्वनि के वर्णों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया गया है, जिससे अनुप्रास का प्रयोग किया गया है।
- “धूप सूखी धरती को चूमती है।”
- इस पंक्ति में, “ू” ध्वनि के वर्णों का ग्रुप प्रत्येक पंक्ति में पुनरावृत्ति किया गया है, जिससे अनुप्रास का प्रयोग किया गया है।
अनुप्रास का प्रयोग शायरी, कविता, और पद्यरचना में किया जाता है ताकि शब्दों का उच्चारण और व्यक्तिगतता में ध्वनिक और सुंदर छवि उत्पन्न हो सके।
हिंसामुक्ति (Hyperbole):
एक अलंकार है जिसमें भाषा के द्वारा अत्यधिक विस्तार या व्यापकता का वर्णन किया जाता है, जिससे प्रभाव और मजाक पैदा होता है। इसका मतलब है कि भाषा के माध्यम से व्यक्ति या घटना को बड़े हद तक वादाना या छिपाना किया जाता है।
हिंसामुक्ति का प्रयोग कविता, गीत, उपन्यास, और अन्य रचनात्मक लेखन के कामों में किया जाता है ताकि विषय को अधिक अद्वितीय और प्रभावशाली बनाया जा सके, और पाठकों को मनोरंजन और गहराई में सोचने का अवसर प्रदान किया जा सके।
उदाहरण:
- “मेरे दिल में तेरी यादें बसी हुई हैं।”
- इस पंक्ति में, यह कहा गया है कि व्यक्ति के दिल में किसी की यादें बसी हुई हैं, जिससे यादों की अत्यधिक व्यापकता का वर्णन किया गया है।
- “वह सो रहा था, जबकि पूरा शहर उसकी आवाज में गुड़गुड़ा रहा था।”
- इस पंक्ति में, शब्द “पूरा शहर” का उपयोग करके व्यक्ति की आवाज़ की अत्यधिक व्यापकता का वर्णन किया गया है, जिससे हिंसामुक्ति का प्रयोग किया गया है।
हिंसामुक्ति का प्रयोग भाषा को विशेषता और गहराई में प्रकट करने के उपकरण के रूप में होता है और रचनात्मक लेखन को अधिक प्रभावी बनाता है।
छिपी आंख (Irony):
एक अलंकार है जिसमें दो घटनाओं या जानकारियों के बीच असंगति या अंतर्विरोध होता है, जो पाठकों के लिए चौंकाने वाला या चौंकाने वाला होता है। इसका मतलब है कि कुछ ऐसा होता है जो हमारी आर्थिकता या प्रत्याशाओं के खिलाफ होता है, और यह वाक्यों के माध्यम से प्रकट होता है। छिपी आंख का उपयोग कविता, कहानी, उपन्यास, और अन्य लेखनिक कामों में किया जाता है ताकि एक स्थिति को या व्यक्ति को चित्रित करने के लिए इसका प्रयोग किया जा सके।
छिपी आंख के रूप में, जानकारियों के बीच असंगति या अंतर्विरोध प्रकट होता है, जो पठकों को सोचने पर मजबूर करता है और किसी स्थिति या व्यक्ति की परिस्थितियों को समझने के लिए उत्तेजना पैदा करता है।
उदाहरण:
- एक आदमी काम पर देर से पहुँचता है और उसके बॉस के सामने बहाना बनाने लगता है, “मैं तो ट्रैफिक में फंस गया था, आपको जाना होता तो आप भी जानते।”
- इस प्रकार, आदमी अपनी देरी को ट्रैफिक पर दोषित कर रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि वह बिना किसी ट्रैफिक में फंसे हैं। यह एक उलटफेर की स्थिति को प्रकट करता है और छिपी आंख का उपयोग किया गया है।
- एक व्यक्ति जबरन हँसता है और कहता है, “हां, बहुत ही मजेदार है तुम्हारा जोक! दसवें बार सुना है।”
- इस प्रकार, व्यक्ति बड़े ध्वनिकता के साथ कह रहा है कि वह जोक पहली बार ही हँसने लायक नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है कि वह उस जोक को अच्छा नहीं मानता है। इस तरह, छिपी आंख का प्रयोग किया जाता है ताकि व्यक्तिगतता और विरोधाभास को प्रकट कर सके।