
विषय सूची
परिवारिक जीवन परिचय-
- जन्म – 26 मार्च 1907 ई.(वि. संवत 1963)
- जन्म स्थान – फर्रुखाबाद(उत्तर प्रदेश)
- पिता – श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
- माता – श्रीमती हेमरानी
- पति – श्री स्वरूप नारायण वर्मा
- मृत्यु – 11 सितंबर 1987 ई.(इलाहाबाद)
छायावाद युग की महान कवयित्री महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च सन 1907 ईसवीं (1963 वि. संवत) में फर्रुखाबाद के एक शिक्षित एवं संपन्न परिवार में हुआ। इनका जन्म फाल्गुन की पूर्णिमा होलिका दहन के दिन हुआ था। इनके परिवार में 200 वर्ष पश्चात या सात पीढ़ियों बाद पुत्री के रूप में महादेवी वर्मा जी का जन्म हुआ। इनके जन्म से इनके बाबा बाबू बांके बिहारी अति प्रसन्न हुए और इनको घर की देवी मानकर इनका नाम महादेवी रखा। इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा था। उनके पिताजी भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। उनकी माता का नाम हेमरानी था। इनकी माता परम विदुषी एवं धार्मिक महिला थी। उनके नाना जी ब्रजभाषा के अच्छे कवि थे। महादेव जी के ऊपर उनके शिक्षित परिवार का अच्छा प्रभाव पड़ा जिसके कारण वह एक महान कवयित्री बनी। छायावादी युग की स्तंभ महादेवी वर्मा जी को आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है ।और इनकी मृत्यु 11 सितंबर 1987 को 80 वर्ष की अवस्था में इलाहाबाद में हुई।
प्रारंभिक एवं उच्च शिक्षा-
महादेवी जी की प्रारंभ में शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल में हुई। महादेवी जी को अंग्रेजी, संस्कृत, चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती थी। 1916 में 9 वर्ष की अल्पायु में बाल विवाह के कारण बीच में इनकी शिक्षा कुछ दिन के लिए स्थगित रही।
महादेवी जी उच्च शिक्षा के लिए विवाह के बाद 1919 में इलाहाबाद क्रोस्थवेट कॉलेज में प्रवेश लिया और छात्रावास में रहने लगी। और इन्होंने आठवीं कक्षा में पूरे प्रांत में सर्व प्रथम स्थान प्राप्त किया। महादेवी जी को बचपन से ही कविता में रुचि थी और इन्होंने अपनी पहली कविता 7 वर्ष की आयु में लिखा था। 1925 में इन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास किया। और तब तक वह एक प्रसिद्ध कवियत्री बन चुकी थी। इनकी घनिष्ठ मित्र सुभद्रा कुमारी चौहान थी। महादेवी जी 1932 में संस्कृत से एम. ए. की परीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण किया।
वैवाहिक जीवन-
महादेवी वर्मा जी का विवाह 1916 में 9 वर्ष की अल्प आयु में उनके बाबा बांके बिहारी जी बरेली के नवाबगंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा जी के साथ कर दिया।स्वरूप नारायण वर्मा जी उस समय दसवीं कक्षा के छात्र थे। वार्मा जी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज चले गए और वह बोर्डिंग हाउस में रहने लगे। महादेवी जी पति पत्नी का संबंध स्वीकार नहीं किया जिसके कारण इनका दांपत्य जीवन सफल नहीं था। स्वरूप नारायण जी उनसे मिलने के लिए कभी-कभी इलाहाबाद आते थे। इनके पति की मृत्यु 1966 में हुई और इनकी मृत्यु के पश्चात वह स्थाई रूप से इलाहाबाद में रहने लगी।
योगदान-
महादेवी वर्मा जी का समाज में बहुत बड़ा योगदान था। इन्होंने नारी स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया , इन्होंने कहा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए महिलाओं का शिक्षित होना अति आवश्यक है। महादेव जी प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य भी रही थी। और यह कुछ वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की मनोनीत सदस्या भी रहीं।
पुरस्कार व सम्मान-
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण की उपाधि प्राप्त की।
- हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से उन्हें सेकसरिया पुरस्कार तथा मंगला प्रसाद पारितोषिक पुरस्कार मिला।
- मई 1983 में भारत-भारती पर तथा नवंबर 1983 में यामा पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रचनाएं-
- यामा
- दीपशिखा
- नीहार
- सांध्यगीत
- निरजा
- रश्मि
- अग्निरेखा
- प्रथम आयाम
- सप्तपर्णा आदि।
काव्य संग्रह –
अतीत के चलचित्र , स्मृति की रेखाएं , श्रृंखला की कड़ियाँ आदि।
साहित्य में स्थान-
महादेवी वर्मा जी वर्तमान हिंदी कविता की सर्वश्रेष्ठ गीतकार हैं ।इनके कला पक्ष और भाव पक्ष दोनों ही अति पुष्ट है। अपने साहित्य व्यक्तित्व एवं अद्वितीय कृतित्व के आधार पर , हिंदी साहित्य का समय महादेव जी का गरिमामय में स्थान अटल है।