लेखक-परिचय

जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय 492 शब्दों में – Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay
जयप्रकाश भारती हिन्दी-साहित्य में एक नवीन अध्याय लेकर अवतरित हुए। उन्होंने बाल-साहित्य, वैज्ञानिक निबन्ध तथा पत्रकारिता में विशेष सम्मान अर्जित किया। इसके अतिरिक्त कहानी तथा रिपोर्ताज आदि साहित्यिक विधाओं में अपनी प्रखर बुद्धि के द्वारा अपना स्थान बनाया।
जीवन-परिचय – जयप्रकाश भारती कुशल पत्रकार एवं मुख्य साहित्यकार जयप्रकाश भारती जी का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रमुख एवं ऐतिहासिक नगर मेरठ के एक मध्यवर्गीय परिवार में 2 जनवरी, सन् 1936 ई० को हुआ था। इनके पिता श्री रघुनाथ सहाय, मेरठ के प्रसिद्ध एडवोकेट तथा कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता व समाजसेवी थे। भारती जी की शिक्षा मेरठ शहर में ही हुई। आपने यही से बी०एस-सी० तक की शिक्षा प्राप्त की।
जयप्रकाश भारती जी ने ‘सम्पादन कला-विशारद’ की उपाधि प्राप्त करके ‘दैनिक प्रभात’ (मेरठ), ‘नवभारत टाइम्स’ (दिल्ली), में पत्रकारिता का तथा साक्षरता निकेतन (लखनऊ) में नवसाक्षर साहित्य के लेखन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।
दिल्ली से प्रकाशित होने वाली ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ पत्रिका के सह-सम्पादक तथा सुप्रसिद्ध बाल पंत्रिका नन्दन (हिन्दुस्तान टाइम्स समूह द्वारा संचालित) के भी अनेक वर्षों तक सम्पादक रहे। अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त भी आप स्वतन्त्र रूप से लेखन कार्य में संलग्न रहे। अन्तत: 69 वर्ष की आयु में 5 फरवरी, 2005 को आपका देहावसान हो गया।
प्रस्तुत निबन्ध ‘पानी में चन्दा और चाँद पर आदमी’ एक वैज्ञानिक निबन्ध है। इसमें विचार-सामग्री, विवरण तथा इतिहास के साथ एक रोमांचक कथा का आनन्द प्राप्त होता है।
लेखक ने पृथ्वी और चन्द्रमा की दूरी, चन्द्रयान और उसको ले जाने वाले अन्तरिक्ष यान तथा चन्द्रतल के वातावरण का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। साथ ही साथ अन्तरिक्ष यात्रा का संक्षिप्त इतिहास भी चित्रित किया है।
भारती जी मुख्य रूप से बाल-साहित्य तथा वैज्ञानिक लेखों के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए हैं। वैज्ञानिक विषयों को हिन्दी में प्रस्तुत करके उसे सरल, रोचक तथा उपयोगी भी बना दिया है।
कृतियाँ – जयप्रकाश भारती जी की अनेक पुस्तकें यूनेस्को तथा भारत सरकार पुरस्कृत चुकी हैं। इनमें हिमालय की पुकार, अनन्त आकाश : अथाह सागर यूनेस्को द्वारा तथा विज्ञान की विभूतियाँ, देश हमारा देश हमारा, चलो चाँद पर चलें भारत सरकार द्वारा पुरस्कार प्राप्त है। इसके अतिरिक्त अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं—सरदार भगत सिंह, हमारे गौरव के प्रतीक, ऐसे थे हमारे बापू, बर्फ की गुड़िया, दुनिया रंग-बिरंगी आदि हैं।
भाषा-शैली – भारती जी की भाषा सरल तथा सहज है। इन्होंने अपनी भाषा को अधिक बोधगम्य बनाने के लिए अंग्रेजी तथा उर्दू के शब्दों का विशेष प्रयोग किया। इनकी भाषा समयानुसार बदलती रहती है।
भारती जी की शैली सरल, रोचक तथा स्वाभाविक है। भारती जी ने अपने साहित्य में विविध शैलियों का प्रयोग किया है। उनमें विचारात्मक, भावात्मक, चित्रात्मक, वर्णनात्मक, रेखाचित्र एवं उद्धरण आदि शैलियाँ प्रमुख हैं।
हिन्दी साहित्य में स्थान – जयप्रकाश भारती की विशेष रुचि सम्पादन कार्यों में थी। सम्पादन के क्षेत्र में आपको ‘सम्पादन कला-विशारद’ की उपाधि से सुशोभित किया गया।
भारती जी हिन्दी-साहित्य के जगत् में बाल साहित्य तथा वैज्ञानिक लेखों के लिए विशेष प्रसिद्ध थे। आपने अनेक साहित्यकारों का मार्गदर्शन किया। हिन्दी साहित्य सदैव आपका ऋणी रहेगा।