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गम् धातु रूप – gum metal form

गम् धातु रूप

प्रस्तावना

संस्कृत भाषा में, ‘गम्’ (gam) धातु का रूप तब्दील होता है जब हम इसका प्रयोग विभिन्न प्रतिष्ठानों, काल-क्रम, पुरुष, वचन और प्रथम/मध्यम/तृतीय पर्यायों में करते हैं। यहाँ पर ‘गम्’ धातु के प्रमुख रूपों की प्रस्तावना है:

वर्तमान काल (Present Tense):

  1. प्रथम पुरुष एकवचन: गच्छामि (gacchāmi) – I go
  2. द्वितीय पुरुष एकवचन: गच्छसि (gacchasi) – You go
  3. तृतीय पुरुष एकवचन: गच्छति (gacchati) – He/She/It goes

भूतकाल (Past Tense):

  1. प्रथम पुरुष एकवचन: गतवान् (gatavān) – I/he went
  2. द्वितीय पुरुष एकवचन: गतवति (gatavati) – You went (for female)
  3. तृतीय पुरुष एकवचन: गतः (gataḥ) – He/She/It went

भविष्यत्काल (Future Tense):

  1. प्रथम पुरुष एकवचन: गमिष्यामि (gamishyāmi) – I will go
  2. द्वितीय पुरुष एकवचन: गमिष्यसि (gamishyasi) – You will go
  3. तृतीय पुरुष एकवचन: गमिष्यति (gamishyatī) – He/She/It will go

यह संक्षेप में ‘गम्’ धातु के कुछ प्रमुख रूप हैं, जिन्हें विभिन्न परिस्थितियों में प्रयुक्त किया जा सकता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि संस्कृत में रूप विशेष प्रतिष्ठान, व्यक्ति, समय और लिंग के आधार पर बदलते हैं।

गम् धातु के प्रकार

“गम्” (gam) धातु संस्कृत भाषा में “जाना” या “चलना” का अर्थ रखती है और यह विभिन्न प्रकारों में प्रयुक्त होती है। निम्नलिखित हैं “गम्” धातु के कुछ प्रमुख प्रकार:

  1. लट् लकार (Present Tense): यह धातु वर्तमान काल में प्रयुक्त होती है। जैसे, “गच्छामि” (gacchāmi) का अर्थ है “मैं जाता/जाती हूँ”।
  2. लुङ् लकार (Past Tense): यह धातु भूतकाल में प्रयुक्त होती है। जैसे, “गतवान्” (gatavān) का अर्थ है “वह गया/गई था”।
  3. लृट् लकार (Future Tense): यह धातु भविष्यत्काल में प्रयुक्त होती है। जैसे, “गमिष्यामि” (gamishyāmi) का अर्थ है “मैं जाऊँगा/जाऊँगी”।
  4. लृट्-लकार (Conditional Tense): यह धातु शंका या परिस्थितिक वाक्यों में प्रयुक्त होती है। जैसे, “गमेयम्” (gameyam) का अर्थ है “जा सकता/सकती हूँ”।
  5. लङ्लकार (Imperative Mood): यह धातु आदेश या आग्रह का अर्थ देती है। जैसे, “गच्छ” (gaccha) का अर्थ है “जा”।

इसी तरह से, “गम्” (gam) धातु कई विभिन्न प्रकारों में प्रयुक्त हो सकती है जो वाक्य के परिस्थिति और भविष्य की भविष्यवाणी के आधार पर बदलती हैं।

लट् लकार

लट् लकार संस्कृत भाषा में वर्तमान काल का प्रकट करता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. आत्मनेपदी वाक्य (Active Voice Sentences):
    • गच्छामि (gacchāmi) – I go.
    • पठामि (paṭhāmi) – I read.
    • लिखामि (likhāmi) – I write.
    • भवामि (bhavāmi) – I am.
  2. परस्मैपदी वाक्य (Passive Voice Sentences):
    • पठामि (paṭhāmi) – I am read.
    • लिखामि (likhāmi) – I am written.
    • गच्छामि (gacchāmi) – I am gone.
    • भवामि (bhavāmi) – I am (This remains the same in passive voice)

लट् लकार संस्कृत में वर्तमान काल को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है। इसमें क्रिया की क्रियाविशेषण नहीं होती, यह केवल क्रिया का क्रियापद होता है जिससे क्रिया का काल प्रकट होता है।

लोट् लकार

लोट् लकार संस्कृत भाषा में भविष्य काल का प्रकट करता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. आत्मनेपदी वाक्य (Active Voice Sentences):
    • गमिष्यामि (gamishyāmi) – I will go.
    • पठिष्यामि (pathiṣyāmi) – I will read.
    • लेखिष्यामि (lekhiṣyāmi) – I will write.
    • भविष्यामि (bhaviṣyāmi) – I will be.
  2. परस्मैपदी वाक्य (Passive Voice Sentences):
    • पठिष्यामि (pathiṣyāmi) – I will be read.
    • लेखिष्यामि (lekhiṣyāmi) – I will be written.
    • गमिष्यामि (gamishyāmi) – I will be gone.
    • भविष्यामि (bhaviṣyāmi) – I will be (This remains the same in passive voice).

लोट् लकार संस्कृत में भविष्य काल को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है। इसमें क्रिया की क्रियाविशेषण नहीं होती, यह केवल क्रिया का क्रियापद होता है जिससे क्रिया का काल प्रकट होता है।

लङ् लकार

लङ् लकार संस्कृत में आगमन के कार्यों को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होता है, अर्थात् इसे भविष्यत्काल (future tense) के रूप में जाना जाता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. आत्मनेपदी वाक्य (Active Voice Sentences):
    • गन्ता (gantā) – He will go.
    • पठिष्यति (pathiṣyati) – He will read.
    • लेखिष्यति (lekhiṣyati) – He will write.
    • भविष्यति (bhaviṣyati) – He will be.
  2. परस्मैपदी वाक्य (Passive Voice Sentences):
    • गम्यते (gamyate) – It will be gone.
    • पठिष्यति (pathiṣyati) – It will be read.
    • लेखिष्यति (lekhiṣyati) – It will be written.
    • भविष्यति (bhaviṣyati) – It will be (This remains the same in passive voice).

लङ् लकार में, क्रियाविशेषण (verb endings) क्रिया के लिए उपयुक्त भविष्यत्काल की सूचना प्रदान करते हैं।

विधिलिङ् लकार

विधिलिङ् लकार (Benedictive Mood) संस्कृत में उत्साह या शुभकामना का अर्थ रखता है। यह किसी के लिए शुभ कार्य करने की इच्छा या आदेश का संकेत करता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. आत्मनेपदी वाक्य (Active Voice Sentences):
    • गमिष्यामि (gamishyāmi) – I shall/may go.
    • पठिष्यामि (pathiṣyāmi) – I shall/may read.
    • लेखिष्यामि (lekhiṣyāmi) – I shall/may write.
    • भविष्यामि (bhaviṣyāmi) – I shall/may be.
  2. परस्मैपदी वाक्य (Passive Voice Sentences):
    • गमिष्यति (gamishyati) – It shall/may be gone.
    • पठिष्यति (pathiṣyati) – It shall/may be read.
    • लेखिष्यति (lekhiṣyati) – It shall/may be written.
    • भविष्यति (bhaviṣyati) – It shall/may be (This remains the same in passive voice).

इस लकार में, क्रियाविशेषण (verb endings) किसी के लिए शुभ कार्य करने की इच्छा या आदेश की सूचना प्रदान करते हैं।

लृट् लकार

लृट् लकार (Conditional Mood) संस्कृत में किसी शर्त या संकेत के अनुसार होने वाले कार्य का संकेत करता है। यह वाक्य में किसी विशेष शर्ता के परिस्थिति को दर्शाता है। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:

  1. आत्मनेपदी वाक्य (Active Voice Sentences):
    • गन्ता (gantā) – He would go.
    • पठिष्यति (pathiṣyati) – He would read.
    • लेखिष्यति (lekhiṣyati) – He would write.
    • भविष्यति (bhaviṣyati) – He would be.
  2. परस्मैपदी वाक्य (Passive Voice Sentences):
    • गम्यते (gamyate) – It would be gone.
    • पठिष्यति (pathiṣyati) – It would be read.
    • लेखिष्यति (lekhiṣyati) – It would be written.
    • भविष्यति (bhaviṣyati) – It would be (This remains the same in passive voice).

लृट् लकार में, क्रियाविशेषण (verb endings) किसी विशेष शर्ता के अनुसार होने वाले कार्य की संकेत करते हैं।

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