
स्वच्छ जल का होना जीवन के लिए आवश्यक है। 60 फीसदी मनुष्य के शरीर में होता है काफी मात्रा में जल वनस्पतियों में भी होता है। 95% जल किसी-किसी वनस्पतियों में होता है। हमारी पृथ्वी पर 75% पानी उपलब्ध है। जिसमें से 2% पानी पीने योग्य है। हमारा शरीर 75% पानी से बना हुआ है।
पर्याप्त मात्रा में पृथ्वी पर जल उपलब्ध है। 2 से 7% ताजे जल की मात्रा है। खारे जल के रूप में समुंदरों में शेष जल के रूप में है। सबसे अधिक विकसित देशों में जल प्रदूषण की परेशानी होती है। पीने पानी का पआद ph मान विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 7 से 8.5 होना चाहिए। पानी पर निर्भर जीवन होता है। पीने के पानी कसरत झीलें नदिया तालाब आदि है। शुद्धिकरण की क्षमता जल में स्वत: होती है। अधिक मात्रा में प्रदूषण पाली में शुद्धिकरण की गति से होता है। तो जल प्रदूषण होने लगता है तब शुरू होती है। यह परेशानी जब पानी में पशु का विषाक्त औद्योगिक रसायन कृषि अपशिष्ट इत्यादि पदार्थ मिलते हैं। झील समुंद्र नदी ज्यादातर पानी के स्रोत इसके कारण ही धीरे धीरे प्रदूषित होते जा रहे हैं। मानव तथा अन्य जीवो पर दूषित जल का घातक प्रभाव पड़ता जा रहा है।
विषय सूची
जल प्रदूषण कैसे होता है
जल प्रदूषण जल में फेंके जाने वाले कपड़ों से होता है। इससे भारी मात्रा में जल दूषित हो जाता है। सबसे ज्यादा जल प्रदूषण शहरों तथा गांव में होता है। शहरों में जल प्रदूषण शहरों से निकलने वाले नाले नदियों से जाकर मिलते हैं। जिससे नदियों का जल दूषित हो जाता है। तथा नदी समुंदरों से मिलती है। तब समुंदरों का जल भी दूषित हो जाता है। किसी से भारी मात्रा में जल दूषित होता है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से भी जल दूषित होता है।
कारखानों से निकलने वाले कचरे नदियों में जा कर मिलते हैं। इससे नदी का जल दूषित हो जाता है। उत्तर प्रदेश की सबसे दूषित नदी गंगा है। गांव में जल प्रदूषण अधिक होता है। क्योंकि गांव में साफ सफाई अधिक नहीं होती गांव में जहां-तहां पानी भरा रहता है। जिसमें बैक्टीरिया पानी पर बैठे रहते हैं। जिससे कि जल प्रदूषण भी होता है। तथा मनुष्य के शरीर पर भी अधिक मात्रा में हानि पहुंचाता है।
जल प्रदूषण का निवारण
हमें जल में कचरा नहीं फेंकना चाहिए तथा पीने के जल को हमेशा ढक के रखना चाहिए जिससे कि जल दूषित नहीं होगा। गांव में पानी के निकाश के लिए पक्की नालियां तथा सड़क के बनाई जाए नालों की ठीक समय पर साफ सफाई कराई जाए तो जल दूषित नहीं होगा। हमें अपने हैंड पंप तथा कुए की समय-समय पर साफ सफाई करनी चाहिए। जिससे कि हमारे नल पर बैक्टीरिया तथा कीटाणु ना बैठने पाये हमें नदियों तथा तालाबों में कूड़ा कचरा नहीं फेंकना चाहिए। क्योंकि इससे जल दूषित हो जाता है। दूषित जल को खेतों तथा कृषि कार्यों में उपयोग करने पर जमीन बंजर हो जाती है।
दूषित जल से होने वाली बीमारियां
जल प्रदूषण से लगभग प्रतिदिन विश्व में 14000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। जल प्रदूषण से हैजा टाइफाइड, बुखार ,खांसी, जुखाम, पीलिया इत्यादि बीमारियां होती है। जल प्रदूषण से पशुओं पक्षी मनुष्य में कई बीमारियां उत्पन्न हो सकते हैं।
दूषित जल के सेवन से पीलिया, बुखार, जुखाम, खांसी, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक, पेट दर्द, चर्म रोग इत्यादि बीमारियां होती है।
जल प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली समस्याएं
जल प्रदूषण केवल मानव शरीर को ही नहीं सभी जीव जंतुओं के लिए हानिकारक है। एक सर्वे के अनुसार जल प्रदूषण के कारण तीन तिहाई लोग बीमार होते हैं। दूषित जल को खेतों में सिंचाई करने मे प्रयोग किए जाने पर धूम बंजर हो जाती है। जिससे कि भूमि की उर्वरा क्षमता कम हो जाती हैं।
दूषित जल से समुद्र में मछलियां भारी मात्रा में मर जाती है। जिससे कि प्रोटीन की बहुत ही अधिक मात्रा में स्रोत कम हो रहा है। तथा मछलियों के व्यापार में भारी मात्रा में तेजी देखी जा रही है। जल प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाया गया है। जिसको हमें पालन करना चाहिए। तथा जल प्रदूषण की इत्यादि समस्याएं हैं।
जल प्रदूषण पर 10 वाक्य
- हमारे जीवन में जल का बहुत बड़ा महत्व है।
- जल के बिना इस पृथ्वी पर किसी भी जीव का जीवित रह पाना मुश्किल है।
- इसीलिए कहा जाता है- “जल ही जीवन है“
- आज के आधुनिक समय में मनुष्य जल को बहुत ही ज्यादा दूषित कर रहा है।
- जल प्रदूषण साफ जल में कचड़ा और हानिकारक रासायनिक पदार्थ के फेंकने से होता है।
- जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ जल को गंदा नहीं करना चाहिए।
- और हमें साफ पानी को फालतू में नहीं बहाना चाहिए।
- वातावरण सही रखने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
- हमारी पृथ्वी पर 75 परसेंट पानी है जिसमें से केवल दो प्रश्न पानी पीने के योग्य है।
- इसलिए हमें अपने भविष्य को बचाने के लिए पानी को भी बताना पड़ेगा।