देशाटन से लाभ अथवा पर्यटन का महत्त्व अथवा देशाटन की उपयोगिता अथवा पर्यटन से होने वाले लाभ एवं हानि अथवा देशाटन और ज्ञानार्जन
रूपरेखा — 1. प्रस्तावना 2. देशाटन की प्राचीनता 3. आधुनिककाल में देशाटन की सुविधा 4. देशाटन से लाभ (अ) मनोरंजन की प्राप्ति (ब) स्वास्थ्य लाभ (स) भौगोलिक ज्ञान की वृद्धि, (द) व्यावहारिक लाभ 5. देशाटन का महत्त्व 6. कठिनाइयाँ 7. उपसंहार ।
“सैर कर दुनियाँ की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहाँ ।
जिन्दगानी गर रही, तो नौजवानी फिर कहाँ ॥”
-इस्माइल मेरठवी

पर्यटन का महत्त्व पर निबंध – Essay on Importance Of Tourism In Hindi
1. प्रस्तावना – देशाटन का अर्थ है- ‘देश-विदेश का भ्रमण । मानव-मन परिवर्तन का अभिलाषी है, क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। मनुष्य प्रतिदिन कुछ-न-कुछ नवीन चाहता है। इसी कारण यह विभिन्न देशों एवं स्थानों का भ्रमण करता है। भ्रमण से मनोरंजन होता ही है तथा इनसे मनोरंजन होता है। इसलिए यह हमारे लिए अन्य दृष्टियों से एक वरदान भी है। इसीलिए मानव देशाटन करने के बाद चमत्कृत होता है।
2. देशाटन की प्राचीनता – भारत का इतिहास पुराना है यहाँ विभिन्न जातियों तथा सभ्यताओं के व्यक्ति और यहीं रहने लगे। यहाँ मनुष्य प्रत्येक वर्ग तथा प्रत्येक धर्म का भ्रमणशील रहा है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसकी महत्ता स्वीकार की गई है। पूर्व में मनुष्य तीर्थों के बहाने देशाटन करता था। किसी कवि ने कहा है-
‘काशी, गया, प्रयाग,
अयोध्या, नीमसार, मथुरा, वृंदावन ।
चित्रकूट, हरिद्वार, ऋषिकेश,
साधु-संतों के मन-भावन।”
मनुष्य कभी व्यापार के कारण और कभी ज्ञानार्जन के लिए वे दूसरे देशों के यात्रा करते हैं। अनेक विदेशी यात्रियों का भारत भ्रमण इसी दृष्टि से प्रसिद्ध हैं। ठीक ही कहा गया है-
नैनीताल, मंसूरी, अल्मोड़ा,
रानीखेत, तथा चकराता।
गरमी में अवकाश बिताने,
दूर देशों से यात्री आता ॥
3. आधुनिककाल में देशाटन की – सुविधा प्राचीनकाल में देशाटन करना असुविधाजनक था, क्योंकि उस समय यहाँ यातायात एवं आगमन के साधन इतने सुलभ न थे। आधुनिक वैज्ञानिक काल में वैज्ञानिक आविष्कारों ने विश्व की दूरी कम कर दी है और सम्पूर्ण विश्व एक ही परिवार बन गया है।
पहले की भाँति अब यात्रा में अधिक भय भी नहीं रहता, मनुष्य बड़े आनन्द और सुख के साथ सम्पूर्ण विश्व की यात्रा कर सकता है । ऐतिहासिक यात्रा से मानव चमत्कृत होकर गौरवान्वित अनुभव करता है।
मानव-प्रकृति के सौन्दर्य को निहारना चाहता है और उसके सौन्दर्य को देखकर उसके रहस्यों को उद्घाटित करना चाहता है। अब तो कदम अन्तरिक्ष की ओर बढ़ गए हैं। अभी मंजिल दूर है, किन्तु उसकी जिज्ञासा वृत्ति उसे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करती है।
4. देशाटन से लाभ – अत्यन्त परेशानियों के पश्चात् भी साहसी यात्री देशाटन से विमुख नहीं हुए। भ्रमण के शौकीन कोलम्बस ने नवीन महाद्वीप का मार्ग खोज ही लिया था। आज जब मनुष्य के पास सभी साधन भी उपलब्ध हैं, तो इसे टेशाटन का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
ज्ञान-विज्ञान के विकास ने विश्व के विभिन्न देशों को एक-दूसरे के निकट ला दिया है। अनेक सुख-सुविधाओं के रहते यात्रा करना बहुत सहज हो गया है। पर्यटन अथवा देशाटन का सर्वाधिक महत्त्व ज्ञानार्जन भी है।
(अ) मनोरंजन की प्राप्ति – प्राचीनकाल में मनुष्य अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के कारण अपनी आवश्यक आवश्कताओं के लिए घूमता था। धीरे-धीरे सभ्यता का भी विकास हुआ और मनोरंजन के साथ नए-नए प्रदेशों की खोज में निकल पड़ा।
मनोरंजन मानव-जीवन का महत्त्वपूर्ण अंश है। एक रसता से ऊबकर मानव मन परिवर्तन चाहता है। इसी परिवर्तन के लिए वह देशाटन करता है। उसे देशाटन से ही मनोरंजन की प्राप्ति होती है।
(ब) स्वास्थ्य लाभ – देशाटन द्वारा मनोरंजन होता है और मनोरंजन के कारण हृदय प्रसन्न रहता है। प्राकृतिक वातावरण, स्वच्छ एवं शुद्ध जलवायु से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। विभिन्न स्थानो, पर्वतों, नदी-तालाबों तथा समुद्र की उठती लहरों को देखकर पर्यटक आनन्दित हो जाते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार का घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
परिवर्तित स्थानों तथा वहाँ की जलवायु का प्रभाव स्फूर्ति तो देता ही है, साथ ही नया उत्साह भी भर देता है। इस प्रकार की यात्राओं तथा प्राकृतिक सौन्दर्य को देखने के पश्चात् कार्य करने में आनन्द आता है। उस सबकी स्मृति बहुत समय तक हमारे साथ बनी रहती है। यही कारण है कि डाक्टर रोगियों को देशाटन का परामर्श देते हैं।
(स) भौगोलिक ज्ञान की वृद्धि – किसी भी स्थान की भौगोलिक जानकारी के लिए वहाँ का भ्रमण अत्यन्त आवश्यक है। जो ज्ञान पुस्तकों द्वारा नहीं प्राप्त हो सकता है, वह प्रत्यक्ष दर्शन से अधिक प्रभावशाली रूप में प्राप्त करते हैं। मैगस्थनीज, फाह्यान, ह्वेनसांग आदि अनेक विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आए तथा यहाँ की सभ्यता, रीति रिवाज, संस्कृति आदि का ज्ञान प्राप्त कर आश्चर्यचकित हुए। ठीक ही कहा गया है—
उत्तर में नेपाल, चीन,
पूरब वर्मा, बंगाल देश ।
दक्षिण में सागर लहराता।
पश्चिम में पाकिस्तान देश ।
तथा
3 हजार 220 किलोमीटर,
लम्बी भारत की लम्बाई ।
2 हजार 735 किलोमीटर
चौड़ी स्वदेश की चौड़ाई ॥
(द) व्यापारिक लाभ – पर्यटन से व्यक्ति को वस्तु के उत्पादन, इसकी माँग और उसके मूल्य का बोध हो जाता है। विभिन्न देशों से कम मूल्य पर सामान खरीदकर और अपने देश में अधिक मूल्य पर बेचकर व्यापारी लाभ प्राप्त करते हैं। पर्यटन आर्थिक व व्यापारिक दृष्टि से भी लाभकारी है।
इससे सांस्कृतिक एकता बनाए रखने में भी सहायता मिलती है। देशाटन के माध्यम से हम उन देशों की संस्कृति और व्यवहार का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते हैं। देशाटन से हमारे अनुभवों में वृद्धि होती है। हमें विभिन्न प्रकार के लाभ व्यापारिक प्राप्त होते हैं।
5. देशाटन का महत्त्व — जीवन के यथार्थ को समझने तथा संसार की राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थिति तथा कला-कौशल का ज्ञान प्राप्त करने में देशाटन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही सद्भाव तथा मैत्री की वृद्धि हेतु भी अनेक देशों के राजनयिक विदेशों की यात्रा करते हैं। यह पर्यटन का महत्त्वपूर्ण शस्त्र है।
पर्यटन से आत्मविश्वास जागता है, विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों को सुलझाने की सामर्थ्य होती है। ‘राहुल सांकृत्यायन’ ने ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ ही बना डाला। उनकी दृष्टि में सबसे बड़ा घुमक्कड़ वह है जो बिना किसी तैयारी के घूमने निकल पड़ता है। यह सबके लिए संभव नहीं है।
6. कठिनाइयाँ – पर्यटन में कुछ सावधानियाँ अपनाने की आवश्यकता होती है। अलग-अलग प्रदेशों की जलवायु हानि न पहुँचाए इसके लिए सावधानी रखनी होगी। पर्वत तथा समुद्र की यात्राएँ बहुत हानिकारक भी सिद्ध हो सकती हैं। पर्यटन साहसिक तो है किन्तु शक्ति व सीमा की जानकारी हमें अवश्य होनी चाहिए अन्यथा आनन्द दुःख में परिवर्तित हो जाता है।
पर्यटक का भविष्य अंधकार में होता है फिर भी अनुभव व अनुमान उस अंधकार को उजागर करने में सहायता करता है। इसके लिए मानसिक सन्तुलन की अपेक्षा होती है। एक सफल देशाटन के मार्ग में विभिन्न प्रकार की कठिनाइयाँ भी आ सकती हैं। सभी व्यक्ति यात्रा के अत्याधिक व्यय को वहन नहीं कर सकते हैं। किसी स्थान की जलवायु अनुकूल न होने के कारण वहाँ जाकर लोग बीमार हो जाते हैं।
7. उपसंहार — प्राचीनकाल में यातायात की इतनी सुविधाएँ नहीं थीं। वे यात्राएँ कष्टकारक होती थीं। आज जबकि आधुनिक संसाधनों ने देश में यात्रा को सुलभ तथा मार्गों को सुगम बना दिया है तब भी लोगों में देशाटन के प्रति बहुत अधिक रुचि नहीं है। इसका कारण आर्थिक भी हो सकता है।
\यदि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाए, तो देशवासियों में देशाटन के प्रति स्वाभाविक रुचि पैदा हो सकती है। लेकिन फिर प्राचीन समय की अपेक्षा वर्तमान समय पर्यटन अथवा देशाटन बढ़ रहा है। एक-दूसरे राष्ट्र को अधिक गहराई से समझा जा सकता है।
सामूहिक प्रयासों द्वारा मानव-चिकित्सा आदि क्षेत्रों में अद्भुत सफलता प्राप्त करने में भी योग्य बना है। व्यापारिक संभावनाएँ बढ़ी हैं जिससे सभी राष्ट्र उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हुए हैं। विश्व को एक परिवार रूप में देखने की कल्पना साकार हो रही है।