Skip to content

मानव जीवन में विज्ञान का महत्त्व पर निबंध – Essay on importance of science in human life

मानव जीवन में विज्ञान का महत्त्व अथवा विज्ञान की देन अथवा विज्ञान के चमत्कार अथवा विज्ञान से लाभ-हानि अथवा विज्ञान का महत्त्व अथवा विज्ञान के बढ़ते चरण अथवा विज्ञान और मानव जीवन अथवा विज्ञान ही विकास की आधारशिला है

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. विज्ञान के आविष्कार 3. विज्ञान : वरदान 4. विज्ञान : अभिशाप 5. उपसंहार

Essay on importance of science in human life
Essay on importance of science in human life

1. प्रस्तावना – मनुष्य विवेकशील प्राणी है। सबकुछ जानने और समझने की इच्छा उसमें विद्यमान है। विशेष रूप से विज्ञान इसकी इसी जिज्ञासावृत्ति का परिणाम है। पेड़ से फल को नीचे गिरते हुए देखा तो जिज्ञासा की, वस्तुएँ नीचे पृथ्वी पर ही क्यों गिरती हैं? विज्ञान ने महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त गुरुत्वाकर्षण दिया।

भाप से ऊपर उठती तश्तरी को देखकर वाष्प की शक्ति का पता चला। इस प्रकार न जाने कितने लोगों द्वारा की गई जिज्ञासा फल के रूप में विज्ञान के विभिन्न आविष्कारों को जन्म देती चली गईं। यह एक ऐसी शक्ति है जिसने मानव जीवन को बदल दिया है।

ऐसी कुंजी है जिसने प्राकृतिक पदार्थों के रहस्य को विश्लेषित करने का प्रयास किया है, प्रकृति को अपने अधिकार में करने के बंधन को खोला है। आज मनुष्य जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं हैं जो विज्ञान की अद्भुत शक्ति के परिणाम का लाभ न उठा रहा हो। इसलिए कवि ‘दिनकर’ ने कहा है-

आज की दुनिया विचित्र नवीन |
प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन ||
हैं बँधे नर के करों में बारि विद्युत भाप |
हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप ॥

तो वह किस ओर संकेत कर रहे थे? निश्चय ही मानव ही वैज्ञानिक प्रगति की ओर रोटी, कपड़ा, मकान, वाहन और विमान जिन्दगी का प्रत्येक क्षेत्र, चरण, जीवन और मरण सभी कुछ आज विज्ञान की कृपा का अभिलाषी है। जल, थल और आकाश तीनों में विज्ञान मानव का रथ दौड़ लगा रहा है। देश और काल को चुनौती देता विज्ञान मानव को प्रकृति का एकछत्र शासक घोषित कर रहा है।

2. विज्ञान के आविष्कार–आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है । इसके अनगिनत आविष्कार हमारे नित्य प्रति के जीवन में सुख-सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं।

दूर बैठे मित्र से बातचीत करने के लिए टेलीफोन, कम्प्यूटर और अब मोबाइल, दूरदर्शन, चलचित्र, वीडियों गेम्स आदि मनोरंजन के लिए, यात्रा के लिए नवीन वाहन, समुद्र के नीचे, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से भी आगे, खेल स्टेडियम, समाचर पत्र, प्रेस, वॉशिंग मशीन, रसोई के छोटे-बड़े उपकरण, असाध्य रोगों का पता लगाने के लिए विभिन्न मशीनें, मैट्रो रेल, नदी पर बाँध, बड़े-बड़े उद्योग, नवीनतम जानकारी देने वाली घड़ियाँ और अब चमत्कारी कैमरे आदि न जाने कितने ऐसे आविष्कार हैं जो हमारे जीवन के विभिन्न अंग हैं।

सूचना प्राद्यौगिक में मानो क्रांति ही ला दी है। आज कोई भी क्षेत्र विज्ञान से अछूता नहीं है। इसके अतिरिक्त सम्पूर्ण विज्ञान की रीढ़ है बिजली। प्रकाश, वायु और गति की प्रदात्री। प्रत्येक देश का उद्योग और वैज्ञानिक अनुसंधान विद्युत पर आश्रित है।

परमाणु बिजलीघर, परमाणु इंजन, कृत्रिम हीरे, कृत्रिम रत्न, कृत्रिम काष्ठ, कृत्रिम रक्त, कृत्रिम वायु, कृत्रिम प्रकाश, कृत्रिम भोजन और निकट भविष्य में कृत्रिम मनुष्य भी विज्ञान के चमत्कार हैं। यदि कम्प्यूटर का उल्लेख न किया जाए, तो वैज्ञानिक चमत्कारों का परिचय अपूर्ण रह जाएगा। आज शिक्षण, व्यवसाय, अनुसंधान और चिकित्सा सभी कम्प्यूटर के ऋणी हैं।

3. विज्ञान : वरदान – विभिन्न आविष्कार मानव के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं। विज्ञान ने समय और स्थान की दूरी को कम कर दिया है। जो काम घण्टों और दिनों में होता था, आज सैकेण्डों में हो जाता है। विश्व के किसी कोने में आप हों, इस प्रकार बात कर सकते हैं मानों सामने बैठे हैं। परिवहन तथा संचार के साधनों की सहायता से सम्पूर्ण विश्व निकट आ गया है।

वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव के दैनिक जीवन को सुख-सुविधाओं से भर दिया है। बड़े-बड़े उद्योगों ने लाखों व्यक्तियों को जीवन-निर्वाह का साधन उपलब्ध कराया है। विभिन्न प्रकार के शस्त्र, बम तथा सांसारिक सामग्री तैयार कर व्यक्ति और राष्ट्र को सुरक्षा प्रदान की है।

चिकित्सा पद्धति में अद्भुत उन्नति की है। विशेषकर चिकित्सा द्वारा गुर्दे, दिल, मस्तिष्क आदि के सभी ऑपरेशन संभव हैं। रोग की जानकारी से लेकर उपचार तक के सारे प्रयत्न मशीनों द्वारा सहज है। इस प्रकार आज मानव जीवन दीर्घ, सुखद तथा सुन्दर बन गया है।

4. विज्ञान : अभिशाप – वैज्ञानिक आविष्कार अभिशाप भी सिद्ध हुए हैं। सुख-सुविधाएँ देकर मनुष्य को आलसी बना दिया है। आने-जाने के साधनों ने दुघर्टनाओं की संभावना बढ़ा दी है। औद्योगिकीकरण के विभिन्न उपकरणों ने प्रदूषण की समस्या भयंकर रूप से खड़ी कर दी है।

चिकित्सा द्वारा उपचार करने के साथ पूरा विश्व मानव विनाश के कगार पर खड़ा हो गया है। मनुष्य धन का दास हो गया है। शक्तिशाली बनने की स्पर्द्धा ने राष्ट्रों को निकट लाने की अपेक्षा दूरिया पैदा कर दी हैं।

5. उपसंहार – विज्ञान तो विशुद्ध ज्ञान है । वह न तो लाभदायक है और न हानिकारक । मानव के मन पर निर्भर है कि वह उस ज्ञान का किस रूप में प्रयोग करता है। परमाणु शक्ति एक रेगिस्तान को शस्यश्यामला भूमि में परिवर्तित कर सकती है और वही नागासाकी और हिरोशिमा को नरक की ज्वाला में जलाकर राख बना सकती है।

विज्ञान का दुरूपयोग भी कम नहीं हुआ है और सदुपयोग भी । वह जीवन दाता चतुरानन भी है और प्रलयंकर रूद्र भी। अतः दुधारी तलवार का प्रयोग करते समय मानव को सतर्क और संयमी होना चाहिए। अतः मनुष्य को इस दिशा में शिक्षित करना होगा तथा विश्व में नई व्यवस्था करनी होगी, तभी विज्ञान वरदान हो सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *