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किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध – Essay on description of a journey

किसी यात्रा का वर्णन अथवा किसी रोचक यात्रा का वर्णन अथवा किसी ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन अथवा पर्यटन स्थल की यात्रा का वर्णन

रूपरेखा — 1. प्रस्तावना 2. स्थल की यात्रा 3. स्थल का सौन्दर्य – वर्णन 4. वापसी तथा यात्रा का प्रभाव 5. उपसंहार ।

Essay on description of a journey
Essay on description of a journey

1. प्रस्तावना- भारत का इतिहास पुराना है। यहाँ विभिन्न जातियों, सभ्यताओं के व्यक्ति आए, यहीं रहने लगे। इनमें से कुछ ने यहाँ शासन भी किया। इन्होंने ऐतिहासिक महत्त्व के अनेक नगर, मंदिर, किले, महल निर्मित किए। आज ये ऐतिहासिक स्थल रूप में प्रसिद्ध हैं। देश-विदेश के पर्यटक भारत के इन स्थलों की यात्रा करते हैं और चमत्कृत होते हैं।

इस प्रकार की यात्राएँ मनोरंजक तो होती हैं इनसे ज्ञानार्जन भी होता है। लगभग सभी स्कूलों से बच्चे भारत भ्रमण के लिए जाते हैं और देश की संस्कृति से परिचित होते हैं। इस प्रकार के भ्रमण के लिए सरकार की ओर से अनुदान देने की योजनाएँ भी हैं। कोई भी संस्थान इस अनुदान को प्राप्त कर सकता है। हमारे स्कूल ने यह अनुदान प्राप्त किया और कुछ अध्यापकों के साथ विद्यार्थियों ने आगरा जाने का निश्चय किया।

2. स्थल की यात्रा – हम लोग पहले दिल्ली पहुँचे और फिर वहाँ से ताज एक्सप्रेस द्वारा आगरा पहुँच गए। मार्ग में कृष्ण नगरी मथुरा दिखाई दी। रेलगाड़ी से यात्रा सुखद रही। अधिक समय भी नहीं लगा और हम प्रातः लगभग दस बजे आगरा पहुँच गए। निश्चित किया गया कि पहले फतेहपुर सीकरी देखी जाए, बाद में आगरे का किला और विश्व प्रसिद्ध ताजमहल, इसे विश्व के मुख्य आश्चर्यों में गिना जाता है।

जिस रेलगाड़ी से हम लोग आगरा गए थे, उसी रेलगाड़ी से उसी दिन लौटने का कार्यक्रम भी था। राम में रहने की व्यवस्था दिल्ली में की गई थी। फतेहपुर सीकरी के लिए रेलवे स्टेशन से ही टूरिस्ट बस की गई जिसने लगभग पौन घण्टे में फतेहपुर सीकरी पहुँचा दिया।

3. स्थल का सौन्दर्य – वर्णन – फतेहपुर सीकरी इस समय छोटे नगर जैसा है। बीच का भवन पहाड़ी पर बना है, जहाँ सीढ़ियाँ चढ़कर जाते हैं। यहाँ मुख्य आकर्षण संत सलीम चिश्ती की दरगाह है। कथा प्रसिद्ध है कि सम्राट अकबर को इन्हीं के आर्शीवाद से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, इस कारण इसका नाम सलीम खां रखा गया था। वहाँ पूरा सात्विक है। सम्राट का महल, बीरबल की हवेली, मंदिर और मस्जिद सभी भव्यता का आभास कराते हैं।

हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनोखा उदाहरण जो वास्तव में सम्राट अकबर की भावनाओं को प्रतिबिम्बित किए हुए हैं। एक घंटा वहाँ रहकर हम एक बजे आगरा वापस लौट आए। दो बजे फिर आगरे का किला देखने चल पड़े। आज किला उजाड़ लग रहा था, किन्तु उसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कितना भव्य रहा होगा।

वहाँ लगे छोटे-से शीशे से पूरा ताज महल दिखाई देता है, यह आश्चर्यचकित करने वाली बात है। वहाँ से घूम-फिरकर हम लोग चार बजे ताजमहल पहुँच गए। यमुना के किनारे अपनी बेगम मुमताज महल की पुण्य प्रेम पूर्ण स्मृति में बादशाह शाहजहाँ ने इसे बनवाया था। सफेद संगमरमर का स्मारक सौन्दर्य – भावना का अद्भुत उदाहरण है।

चारों ओर का वातावरण बहुत ही सुन्दर है। हरी घास के लॉन, पत्थर वाली सड़के, ऊँचे वृक्ष, पानी के फब्बारे आदि आकर्षक योजना के परिणाम हैं। बड़े गुम्बद के नीचे- ऊपर नकली और नीचे तल पर असली कब्र है। दीवारों के दरवाजों पर कुरान की आयतें लिखीं है। सच ही ताजमहल आश्चर्य का मोहक उदाहरण है।

4. वापसी तथा यात्रा का प्रभाव- संध्या होते ही रेलगाड़ी पकड़ने के लिए हम लोग रेलवे स्टेशन पहुँचे। रात लगभग साढ़े दस बजे दिल्ली वापस लौट आए। रात रुकने के लिए दिल्ली में व्यवस्था की गई थी। इस पूरी यात्रा तथा ऐतिहासिक स्थल देखने का प्रभाव बहुत ही उत्साहवर्द्धक रहा। ताजमहल देखकर वास्तुकला कौशल का अमिट प्रभाव हम सब पर अंकित हुआ।

भव्यता तथा सौन्दर्य का अनोखा संगम ताजमहल नेत्रों के आगे से हटता ही नहीं था। जिज्ञासा तो हुई ही, मुसलमानों के शासन के वैभव का भी परिचय मिला। बीस वर्ष में बनकर तैयार हुए बाइस करोड़ रुपए की लागत से बने इस प्रेम के स्मारक ने विश्व के पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ट किया है।

5. उपसंहार – नए-नए स्थलों, उनके इतिहास एवं उनकी भौगोलिक जानकारी प्राप्त करके एक आत्मीयता का भाव विकसित हुआ। ऐतिहासिक स्थल आगरे की इस यात्रा ने चमत्कृत किया, साथ ही इतिहास के कुछ पृष्ठों को प्रत्यक्ष देखने का अवसर भी मिला। मोहक तथा पुरानी संस्कृति की धरोहर को सुरक्षित रखने वाले इस नगर ने इतना अधिक प्रभावित किया कि हमने निश्चय किया कि बार-बार इस प्रदेश की यात्रा की जाए।

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