कवयित्री परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय – Biography of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi
सुभद्रा कुमारी चौहान आधुनिक हिन्दी-काव्योद्यान की अमर कलिका हैं। उनकी ओजपूर्ण एवं राष्ट्रीय-प्रेम से ओत-प्रोत वाणी कवि भूषण की याद ताजा कर देती है। रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य तथा वीरता की अमर गाथा गाने वाली यह कवयित्री भारतीय युवक-युवतियों के लिए अपूर्ण प्रेरणा का स्रोत है। उनकी राष्ट्रीय कविताओं में स्फूर्ति, तड़प, उद्घोष तथा ओज देखते ही बनता है।
जीवन-परिचय – राष्ट्रीय चेतना की अमर गायिका तथा वीर रस की एक मात्र कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1904 ई० में इलाहाबाद जनपद के निहालपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता श्री रामनाथ सिंह अत्यन्त भावुक तथा उदार प्रकृति के व्यक्ति थे।
आपका विवाह 15 वर्ष की अवस्था में खण्डवा (म० प्र०) निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात् राष्ट्रपिता गाँधी से प्रभावित होकर आपने स्वतन्त्रता हेतु कई बार जेल-यात्राएँ की।
सुभद्रा कुमारी जी की ‘झाँसी की रानी’ तथा ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ शीर्षक कविताएँ आज भी लोगों के हृदय में ज्वाला की तरह धधक रही हैं। बचपन से ही सुभद्रा जी को काव्य के प्रति विशेष लगाव था। साहित्यिक कार्यों में सुभद्रा जी को पं० माखनलाल चतुर्वेदी जी से विशेष प्रोत्साहन मिला। सन् 1948 ई० में एक मोटर दुर्घटना में इस अमर पुजारिन की मृत्यु हो गई।
रचनाएँ ( कृतियाँ ) – इनकी काव्य-कृतियों का विवरण इस प्रकार है-
1. मुकुल – यह सुभद्रा जी का काव्य-संग्रह है। इसमें उनकी ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ कविता संग्रहीत है। इस संग्रह को सेकसरिया पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
2. त्रिधारा – इस काव्य-संग्रह में सुभद्रा जी की लोकप्रिय कविता ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ संग्रहीत है।
इसके अतिरिक्त ‘सीधे-सादे चित्र’ तथा ‘बिखरे मोती एवं उन्मादिनी’ (कहानी-संकलन) आदि अन्य रचनाएँ हैं।
भाषा-शैली – सुभद्रा जी की भाषा सीधी, सरल तथा आडम्बरहीन खड़ी बोली है। आपने अपने काव्य में सरलतम छन्दों का विशेष प्रयोग किया है। सुभद्रा जी की शैली अत्यन्त सरल तथा सुबोध है। इसी कारण इसे व्यावहारिक शैली भी कहा जा सकता है। आपकी कविता में ओज, प्रसाद तथा माधुर्य आदि गुणों को देखा जा सकता है।
सुभद्रा कुमारी ने अपनी कविताओं के द्वारा निडर तथा साहसपूर्ण नारी की छवि को प्रदर्शित किया है। वे विशेषकर नारी-जगत के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेंगी।
हिन्दी साहित्य में स्थान – सुभद्रा जी की कविताओं में सच्ची वीरांगना का रूप दिखाई देता है। इनकी झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता अति लोकप्रिय रही है। उसे जो प्रसिद्धि प्राप्त हुई है; वह बड़े-बड़े महाकाव्यों के लिए दुर्लभ है। इनकी अपनी रचनाओं द्वारा सुभद्रा जी ने महिलाओं के सम्मुख निर्भीक रूप को प्रदर्शित किया है। जो नारी समाज के लिए अद्वितीय निधि है।
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