कवि- परिचय

केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय – Biography of Kedarnath Singh in Hindi
जीवन-परिचय – केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई, सन् 1934 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद स्थित चकिया नामक गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई तत्पश्चात् आपने बनारस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया।
यहीं से एम० ए० (हिन्दी) करके सन् 1964 ई० में ‘आधुनिक हिन्दी कविता में विम्बविधान’ शीर्षक पर पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की। आपने उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर आदि अनेक महाविद्यालयों में प्राध्यापक पद पर कार्य करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए।
डॉ० सिंह को अपनी रचनाओं पर अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, दिनकर पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, जाशुआ सम्मान, शलाका सम्मान आदि प्रमुख हैं। आपने वाराणसी से ‘हमारी पीढ़ी’ नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया। आपका पहला कविता संग्रह सन् 1960 ई० में प्रकाशित हुआ। तीसरे सप्तक कवियों की श्रेणी में केदारनाथ सिंह भी आते हैं। ‘बाघ’ मील का पत्थर माने जाने वाली आपकी प्रमुख कविता है।
रचनाएँ— आपकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) काव्य संग्रह–अकाल में सारस, जमीन पक रही है, बाघ, टाल्सटाय और साइकिल, यहाँ से देखो, अभी बिल्कुल अभी, उत्तर कबीर और कविताएँ।
(ii) कथा-संकलन – कब्रिस्तान में पंचायत ।
(iii) निबन्ध तथा आलोचना – कल्पना और छायावाद, हिन्दी कविता में बिम्ब विधान, मेरे समय के बाद आदि।
भाषा-शैली – डॉ० सिंह ने अपनी कविताओं में ग्रामीण एवं शहरी समस्याओं को प्रमुख विषय बनाया है। चुप्पी तथा शब्द के रिस्ते की सही पहचान आपकी रचनाओं में देखा जा सकता है। आपकी भाषा शुद्ध, साहित्यिक खड़ी बोली है। आपकी शैली विषयानुकूल तथा प्रवाह से बदलती रहती है। प्रस्तुत पाठ में कवि केदारनाथ सिंह ने नदी की तरह निर्मल, गतिशील रहने की प्रेरणा प्रदान की है तथा निरन्तर अपने लक्ष्य को पाने की हमें शिक्षा भी दी है।