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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Berojgari per nibandh

बेरोजगारी की समस्या

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. बेरोजगारी के कारण 3. बेरोजगारी दूर करने के उपाय 4. उपसंहार।

Berojgari per nibandh
Berojgari per nibandh

1. प्रस्तावना – स्वतन्त्रता प्राप्ति के पचास वर्ष पश्चात् भी हम अपनी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का पूर्ण समाधान नहीं खोज पाये हैं। इस प्रकार, की समस्याओं में बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो प्रतिदिन उग्र से उग्र होती जा रही है। सरकार, परिवार और व्यक्ति सभी स्तरों पर इस समस्या की जटिलता का अनुभव तो किया जा रहा है परन्तु अनेक प्रयास करने पर भी यह समस्या सुलझ नहीं पा रही है।

2. बेरोजगारी के कारण – बेरोजगारी के निम्न कारण हैं –

(i) यन्त्रीकरण एवं औद्योगीकरण– स्वचालित मशीनों और कम्प्यूटर के समावेश ने बेरोजगार युवक-युवतियों की एक बड़ी फौज पैदा करनी प्रारम्भ कर दी है। समस्या के इस पक्ष को समझकर ही हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने चरखे को प्रतीक बनाकर लघु और अति लघु उद्योग-धन्धों को अपनाने की प्रेरणा दी थी परन्तु हम राष्ट्रपिता की जय-जयकार करके ही अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझने लगे और उनकी शिक्षाओं को उठाकर हमने ताक पर रख दिया

(ii) दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति – अंग्रेजों द्वारा संचालित शिक्षा पद्धति थोड़े-बहुत संशोधन और परिवर्धन के साथ आज भी प्रचलित है इसमें व्यक्ति को शिक्षित बनाकर साहब (काम को अपमान समझने वाला) बना दिया। शिक्षा भी ऐसी दी गयी जिसके द्वारा धनोपार्जन की कोई पद्धति नहीं सिखाई गई।

3. बेरोजगारी दूर करने के उपाय- इस समस्या के समाधान का भी एकमात्र उपाय यह है कि इसको जन्म देने वाले कारणों को बदल दिया जाए। बेरोजगारी दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं

(i) जनसंख्या नियंत्रण — हमारे देश में अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्या के समाधान ही बेरोजगारी की समस्या का साधन है। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार कल्याण कार्यक्रमों को लागू करके ही यह सम्भव हो सकता है।

(ii) कृषि आधारित उद्योग-धन्धों का विकास- भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या ग्रामों में रहकर कृषि को ही व्यवसाय बनाकर उस पर आश्रित रहती है। अतः बेरोजगारी की समस्या का समाधान कृषि के विकास और उस पर आधारित कुटीर उद्योग और लघु उद्योगों के विकास से ही सम्भव हो सकता है।

(iii) आधारभूत सुविधाओं का विकास – आधारभूत सुविधाओं जैसे—सड़कों, सिंचाई के लिए नहरों और रहने के लिए मकानों आदि की पर्याप्त सुविधा के विकास से नवयुवकों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे और देश का आर्थिक विकास सम्भव होगा।

(iv) शिक्षा पद्धति-वर्तमान शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाने की आवश्यकता है। अब वह समय आ गया है जब युवक-युवतियों को व्यवसाय सम्बन्धी शिक्षा देकर उन्हें अपनी आजीविका कमाने योग्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।

4. उपसंहार — बेरोजगारी देखने में तो केवल एक आर्थिक समस्या नजर आती है परन्तु इसका सम्बन्ध समाज की शान्ति व्यवस्था और युवकों के मनोविज्ञान से भी है। रोजगार के अभाव में ही नवयुवकों में लूट-खसोट आदि अपराधों की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है और दूसरी ओर उनमें निराशा और आक्रोश पनप रहा है। अतः यह आवश्यक है कि सभी मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए शीघ्र अति शीघ्र भरसक प्रयत्न करें।

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