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हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन – Hindi Alphabet Vowels and Consonants

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विषय सूची

हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala)

हिंदी वर्णमाला में वर्ण (alphabets) व्यक्ति ध्वनि को लिखने और पढ़ने के लिए उपयोग होते हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल ५२ वर्ण होते हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:

1. स्वर (Vowels): हिंदी में स्वर वर्ण वह होते हैं जो बिना किसी आवरण के उच्चारित किए जा सकते हैं, और उन्हें आ, ई, उ, ए, और ओ इत्यादि के रूप में प्रकट किया जा सकता है। निम्नलिखित हैं हिंदी के स्वर:

अ (a) – उच्चारण में किसी आवरण के बिना आवश्यक है। आ (ā) – लंबा आ वर्ण, उच्चारण के साथ आवरण के बिना। इ (i) – ई वर्ण का छोटा रूप, उच्चारण के साथ आवरण के बिना। ई (ī) – लंबा ई वर्ण, उच्चारण के साथ आवरण के बिना। उ (u) – उच्चारण में किसी आवरण के बिना उच्चारित होता है। ऊ (ū) – लंबा ऊ वर्ण, उच्चारण के साथ आवरण के बिना। ए (e) – उच्चारण में किसी आवरण के बिना उच्चारित होता है। ऐ (ai) – लंबा ऐ वर्ण, उच्चारण के साथ आवरण के बिना। ओ (o) – उच्चारण में किसी आवरण के बिना उच्चारित होता है। औ (au) – लंबा औ वर्ण, उच्चारण के साथ आवरण के बिना।

2. व्यंजन (Consonants): हिंदी में व्यंजन वर्ण वह होते हैं जो आवरण के साथ उच्चारित किए जाते हैं। निम्नलिखित हैं हिंदी के कुछ व्यंजन:

क (ka), ख (kha), ग (ga), घ (gha), च (cha), छ (chha), ज (ja), झ (jha), ट (ṭa), ठ (ṭha), ड (ḍa), ढ (ḍha), ण (ṇa), त (ta), थ (tha), द (da), ध (dha), न (na), प (pa), फ (pha), ब (ba), भ (bha), म (ma), य (ya), र (ra), ल (la), व (va), श (sha), ष (ṣa), स (sa), ह (ha), क्ष (kṣa), त्र (tra), ज्ञ (jña)।

इन्हीं ५२ वर्णों का संयोजन हिंदी के शब्दों को रचने में उपयोग किया जाता है। व्यक्ति इन वर्णों का सही तरीके से उच्चारण करके हिंदी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं।

संयुक्त व्यंजन (Consonant Combinationn)

संयुक्त व्यंजन हिंदी वर्णमाला में वे व्यंजन होते हैं जो दो व्यंजन वर्णों के संयोजन से बनते हैं और एक ही अक्षर में उच्चारण किए जाते हैं। ये व्यंजन वर्णों का संयोजन होता है और उन्हें मिलकर एक ही आवाज़ में उच्चारित किया जाता है। निम्नलिखित कुछ संयुक्त व्यंजन हैं:

  1. क्ष (kṣa): इसमें “क” और “ष” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “क्ष” होता है, जैसे कक्ष (कक्षा)।
  2. त्र (tra): इसमें “त” और “र” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “त्र” होता है, जैसे त्रिकोण (त्रिकोण)।
  3. ज्ञ (jña): इसमें “ज” और “ञ” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “ज्ञ” होता है, जैसे ज्ञान (ज्ञान)।
  4. श्र (śra): इसमें “श” और “र” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “श्र” होता है, जैसे श्रेष्ठ (श्रेष्ठ)।
  5. द्य (dya): इसमें “द” और “य” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “द्य” होता है, जैसे विद्या (विद्या)।
  6. ष्ट (ṣṭa): इसमें “ष” और “ट” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “ष्ट” होता है, जैसे क्रिष्ट (क्रिष्ट)।
  7. द्व (dva): इसमें “द” और “व” का संयोजन होता है, और इसका उच्चारण “द्व” होता है, जैसे द्वार (द्वार)।

ये हैं कुछ संयुक्त व्यंजन जो हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं। इन्हें सही रूप से उच्चारण करने के लिए समय देना चाहिए, क्योंकि ये हिंदी के शब्दों के अर्थ में अंतर डाल सकते हैं।

हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षर – 52 letters of Hindi alphabet

हिंदी वर्णमाला में कुल मिलाकर 52 वर्ण होते हैं। निम्नलिखित हैं हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षर:

स्वर (Vowels):

  1. अ (a)
  2. आ (ā)
  3. इ (i)
  4. ई (ī)
  5. उ (u)
  6. ऊ (ū)
  7. ए (e)
  8. ऐ (ai)
  9. ओ (o)
  10. औ (au)
  11. अं (aṁ)

व्यंजन (Consonants):

  1. क (ka)
  2. ख (kha)
  3. ग (ga)
  4. घ (gha)
  5. ङ (ṅa)
  6. च (cha)
  7. छ (chha)
  8. ज (ja)
  9. झ (jha)
  10. ञ (ña)
  11. ट (ṭa)
  12. ठ (ṭha)
  13. ड (ḍa)
  14. ढ (ḍha)
  15. ण (ṇa)
  16. त (ta)
  17. थ (tha)
  18. द (da)
  19. ध (dha)
  20. न (na)
  21. प (pa)
  22. फ (pha)
  23. ब (ba)
  24. भ (bha)
  25. म (ma)
  26. य (ya)
  27. र (ra)
  28. ल (la)
  29. व (va)
  30. श (sha)
  31. ष (ṣa)
  32. स (sa)
  33. ह (ha)
  34. क्ष (kṣa)
  35. त्र (tra)
  36. ज्ञ (jña)

इन 52 वर्णों का उच्चारण सही तरीके से करना हिंदी भाषा में शब्दों को सही रूप से पढ़ने और लिखने के लिए महत्वपूर्ण है।

वर्ण किसे कहते हैं – What are Characters Called

वर्ण एक भाषा के मूल ध्वनियों को प्रकट करने वाले सबसे छोटे स्वर या ध्वनि इकाइयों को कहा जाता है। वर्ण भाषा के सबसे आवश्यक और मौलिक ध्वनियों को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं और वे भाषा के शब्दों की बुनाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वर्ण एक भाषा के लिए आवश्यक ध्वनियों की अद्वितीय संख्या और प्रकार को प्रकट करते हैं। हर भाषा में वर्ण की संख्या और प्रकार अलग हो सकते हैं। उन्हें सही तरीके से व्यक्त करने के लिए वक्ताओं को ध्वनियों को सही रूप से उच्चारण करना होता है।

हिंदी में, वर्णमाला में 52 वर्ण होते हैं, जिनमें 12 स्वर (vowels) और 40 व्यंजन (consonants) शामिल होते हैं। इन वर्णों का संयोजन होकर शब्द बनते हैं, और ये वर्ण ही भाषा की मूल ध्वनियों को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।

वर्ण के भेद – Differences of Character


वर्ण (अक्षर) के मुख्य भेद निम्नलिखित होते हैं:

  1. स्वर (Vowels): स्वर वर्ण ध्वनियों को प्रकट करने के लिए अकेले ही उच्चारित किए जा सकते हैं, और उनमें कोई आवरण नहीं होता है। हिंदी वर्णमाला में 12 स्वर वर्ण होते हैं, जैसे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं।
  2. व्यंजन (Consonants): व्यंजन वर्ण ध्वनियों को प्रकट करने के लिए आवरण की आवश्यकता होती है, यानी उन्हें दो वर्णों के संयोजन के रूप में उच्चारित किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में 40 व्यंजन वर्ण होते हैं, जैसे क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह, क्ष, त्र, ज्ञ।
  3. संयुक्त व्यंजन (Compound Consonants): संयुक्त व्यंजन वर्ण दो व्यंजन वर्णों के संयोजन से बनते हैं, और इन्हें एक ही अक्षर के रूप में उच्चारित किया जाता है। हिंदी में कुछ प्रमुख संयुक्त व्यंजन हैं, जैसे क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ष्ट, द्य, ट्र, ड्र, ढ्र, छ्य, ज्ञ्य, श्च, श्न, श्म, ट्य, ड्य, ढ्य, ष्ठ, ष्ण, ष्प, ष्फ, ष्म, ष्ट्र, श्व, ष्य, र्ध्र, ग्द्ध, ग्ध्य, ग्ध्र, ज्व, ज्य, ड्ड, ड्ढ, ड्य, द्ग, द्घ, द्द, द्ब, द्भ, द्म, द्य, द्र, द्व, न्द, न्ध, न्द्र, न्न, न्म, प्त, प्न, प्य, प्ल, प्ष, भ्य, म्न, म्य, म्र, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, स्क, स्त, स्थ, स्न, स्प, स्फ, स्म, स्व, ह्म, ह्न, ह्य, ह्ल, ह्व, ल्ग, ल्ज, ल्ट, ल्ड, ल्प, ल्फ, ल्ब, ल्म, ल्य, ल्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, स्क, स्त, स्थ, स्न, स्प, स्फ, स्म, स्व, ह्म, ह्न, ह्य, ह्ल, ह्व, ल्ग, ल्ज, ल्ट, ल्ड, ल्प, ल्फ, ल्ब, ल्म, ल्य, ल्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य, ल्ब, ल्म, ल्ल, ळ्य, ळ्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, स्क, स्त, स्थ, स्न, स्प, स्फ, स्म, स्व, ह्म, ह्न, ह्य, ह्ल, ह्व, ल्ग, ल्ज, ल्ट, ल्ड, ल्प, ल्फ, ल्ब, ल्म, ल्य, ल्ल, व्य, व्ल, श्च, श्न, श्म, श्ल, श्व, श्य, र्ग, र्च, र्ट, र्ड, र्ण, र्त, र्थ, र्द, र्ध, र्ब, र्म, र्य, र्ल, र्व, ल्य,

स्वर किसे कहते हैं – What are Vowels Called

स्वर (Vowels) ध्वनि या ध्वनि बनाने वाले आवाज के उत्पन्न होने पर कहा जाता है, जो बिना किसी रुकावट के और बिना किसी विधि से उच्चारित होते हैं। स्वर वर्ण विभिन्न प्रकार की आवाज़ों को दर्शाते हैं और भाषा में व्यवहार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

हिन्दी भाषा में, स्वर वर्ण कुल मिलाकर 11 होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. अ (a)
  2. आ (ā)
  3. इ (i)
  4. ई (ī)
  5. उ (u)
  6. ऊ (ū)
  7. ए (e)
  8. ऐ (ai)
  9. ओ (o)
  10. औ (au)
  11. अं (aṅ) – इसे अनुस्वार कहा जाता है

ये स्वर वर्ण हिन्दी भाषा में विभिन्न शब्दों के आधार होते हैं और उच्चारण में मुख और वोकल को विशेष ध्यान में रखकर उच्चारित किए जाते हैं। इन स्वर वर्णों का सही उच्चारण महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये भाषा के शब्दों का ध्वनिक संरचना बदल सकते हैं और शब्द का अर्थ प्रतिबिंबित कर सकते हैं।

हिंदी स्वर की मात्रा – Hindi Vowel Quantity

हिंदी में स्वर की मात्रा दो प्रकार की होती है: स्वर की लघु मात्रा और स्वर की महाप्राण मात्रा।

स्वर की लघु मात्रा (Short Vowels): स्वर वर्णों की लघु मात्रा अक्षरों के बाद आने वाले व्यंजन वर्णों के साथ आती है। यह स्वर अक्षर को छोटा और संक्षिप्त बनाती है। इसके उदाहरण हैं: अ, इ, उ, ए, ओ।

स्वर की महाप्राण मात्रा (Long Vowels): स्वर वर्णों की महाप्राण मात्रा जब कोई स्वर वर्ण लड़कर आता है, तो वह महाप्राण मात्रा को प्राप्त करता है। इसके उदाहरण हैं: आ, ई, ऊ, ए, ओ।

इन मात्राओं का सही उच्चारण महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये भाषा में शब्दों के अर्थ में अंतर कर सकते हैं।

स्वर के भेद – Vowel Differences

  1. हृस्व स्वर
  2. गुरु या दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

हृस्व स्वर – Death Note

हृस्व स्वर एक प्रकार के स्वर होते हैं जो हिंदी वर्णमाला में छोटी मात्रा के होते हैं और उनका उच्चारण तेजी से होता है। इन स्वर वर्णों की मात्रा छोटी होती है और उनके उच्चारण में आवाज को अधिक विस्तार नहीं देना पड़ता है।

हृस्व स्वर वर्ण हिंदी में निम्नलिखित होते हैं:

  1. अ (a)
  2. इ (i)
  3. उ (u)
  4. ए (e)
  5. ओ (o)

ये स्वर वर्ण छोटी मात्रा के होते हैं और उनका उच्चारण तेज़ी से होता है, जिससे उनके उच्चारण में आवाज़ को अधिक समय नहीं देना पड़ता है। इन स्वर वर्णों का सही उच्चारण महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उनका उच्चारण अक्षरों और शब्दों के सही अर्थ में अंतर कर सकता है।

गुरु या दीर्घ स्वर – Guru or Long Vowel

गुरु स्वर, जिसे दीर्घ स्वर भी कहते हैं, हिंदी वर्णमाला में जो स्वर वर्ण होते हैं जिनकी मात्रा लम्बी होती है, वे गुरु या दीर्घ स्वर के रूप में जाने जाते हैं। इन स्वर वर्णों की मात्रा अधिक होती है और उनका उच्चारण थोड़े और दीर्घ समय तक होता है।

हिंदी में गुरु या दीर्घ स्वर के निम्नलिखित वर्ण होते हैं:

  1. आ (ā)
  2. ई (ī)
  3. ऊ (ū)
  4. ए (e)
  5. ओ (o)

इन स्वर वर्णों का उच्चारण थोड़े समय तक होता है और उनके उच्चारण में आवाज़ को ज्यादा समय देना पड़ता है। ये स्वर वर्ण शब्दों के ढंग को समझने में महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि उनके उच्चारण का गलती से अर्थ बदल सकता है।

प्लुत स्वर – Plut Vowel

प्लुत स्वर (Pluta Swara) एक विशेष प्रकार का स्वर होता है जो कविता, संस्कृत छंद और वैदिक गायन में प्रयुक्त होता है। यह स्वर वर्ण बड़े और लंबे समय तक उच्चारित होते हैं और उनके उच्चारण में आवाज को बड़े प्रमाण में विस्तार देना पड़ता है।

प्लुत स्वर कविता में छंद के अंतर्गत एक विशेष चिह्न या चिन्ह के साथ दर्शाया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस स्वर को बड़े प्रमाण में उच्चारित करना है। प्लुत स्वर के उदाहरण बृहदी छंद, त्रिष्टुब्छंद, जगती छंद, इत्यादि में पाए जा सकते हैं।

प्लुत स्वर की मात्रा लम्बी होती है और इसका उच्चारण में आवाज को बड़े प्रमाण में विस्तार देना पड़ता है, जिससे ध्वनि का समापन धीरे से होता है। इसे संगीत, छंदशास्त्र, और संस्कृत कविता में उपयोग किया जाता है।

व्यंजन (Consonant)

एक प्रकार का वर्ण होता है जो भाषा में व्यक्ति के वाणी अवयवों, जैसे कि मुख, जीभ, गला, और उच्चारण में विविध सांस्कृतिक आवश्यकताओं के साथ उच्चारित होता है, और जो वोकल वर्णों के साथ मिलकर शब्दों का निर्माण करता है। यह वर्ण वाक्यों की बनावट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

व्यंजन वर्णों की उच्चारण में वोकल वर्णों के उपमान्य पारंपरिक रूप का कोई अवयव नहीं होता, इसलिए इनका उच्चारण मुख और वक्ता में कोई विस्तार नहीं होता है, जैसे कि स्वर वर्णों के उच्चारण में होता है।

व्यंजन वर्ण भाषा के वाक्यों को संरचित करने में महत्वपूर्ण होते हैं और उनके सही उच्चारण का ध्यान रखना भाषा के सही उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है।

हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं – How Many Consonants are there in the Hindi Alphabet?

हिंदी वर्णमाला में कुल मिलाकर 33 व्यंजन होते हैं। ये व्यंजन वर्ण भाषा में उपयोग होते हैं और उनका उच्चारण मुख में किसी वोकल वर्ण के साथ होता है। निम्नलिखित हैं हिंदी वर्णमाला के व्यंजन:

  1. क (ka)
  2. ख (kha)
  3. ग (ga)
  4. घ (gha)
  5. ङ (ṅa)
  6. च (cha)
  7. छ (chha)
  8. ज (ja)
  9. झ (jha)
  10. ञ (ña)
  11. ट (ṭa)
  12. ठ (ṭha)
  13. ड (ḍa)
  14. ढ (ḍha)
  15. ण (ṇa)
  16. त (ta)
  17. थ (tha)
  18. द (da)
  19. ध (dha)
  20. न (na)
  21. प (pa)
  22. फ (pha)
  23. ब (ba)
  24. भ (bha)
  25. म (ma)
  26. य (ya)
  27. र (ra)
  28. ल (la)
  29. व (va)
  30. श (sha)
  31. ष (ṣa)
  32. स (sa)
  33. ह (ha)

इन व्यंजन वर्णों का उपयोग हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में होता है और वाक्यों को संरचित करने में मदद करता है।

हिंदी व्यंजन की मात्रा – Quantity of Hindi Dishes

हिंदी व्यंजन वर्णों की मात्रा निम्नलिखित होती है:

  1. स्वर-संयुक्त व्यंजन (Consonant Clusters): हिंदी में कई व्यंजन वर्ण एक साथ मिलकर अनेक स्वर-संयुक्त व्यंजन बना सकते हैं। इनके उदाहरण हैं: क्ष, त्र, ज्ञ, प्र, श्र, स्त, त्थ, द्ध, ध्र, त्र्य, त्म, श्च, श्न, श्म, श्व, ष्ट, ष्ठ, ष्प, ष्फ, ष्म, ष्य, ष्क, ष्ण, ष्ण्य, ष्म्य, ष्प्य, ष्फ्य, ष्व्य, स्प्य, श्च्य, श्न्य, श्म्य, स्क्य, स्न्य, ष्क्य, ष्ण्य, ष्म्य, स्त्य, ष्ट्य, स्प्त, त्त्य, त्य्य, द्य्य, ध्य्य, ध्य्य्य, ष्ट्व, ष्ठ्व, श्च्व, श्न्व, श्म्व, श्व्य, स्त्व, स्न्व, स्म्य, स्यं, त्यं, द्यं, ध्यं, ध्य्यं, त्र्यं, त्त्यं, त्य्यं, द्य्यं, ध्य्य्यं, ष्ट्वं, ष्ठ्वं, श्च्वं, श्न्वं, श्म्वं, श्व्यं, स्त्वं, स्न्वं, स्म्यं, स्यं।
  2. प्रत्यय (Suffixes): हिंदी में कई प्रत्यय जैसे कि “क”, “का”, “के”, “की”, “को”, “के साथ”, “के लिए”, “के बाद”, आदि, व्यंजनों के साथ आकर्षित किए जाते हैं।

यह व्यंजन वर्णों के साथ मिलकर विभिन्न ध्वनिक संरचनाओं का निर्माण करते हैं और भाषा में वचन, वृत्ति, और आकार को सूचित करते हैं।

प्रयत्न स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण – Classification of dishes based on place of Attempt

व्यंजन वर्णों को प्रयत्न स्थान (यानि मुख और वक्ता के विशेष स्थान) के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इस आधार पर, व्यंजन वर्णों को निम्नलिखित चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. ऊष्म स्थान व्यंजन (Labial Consonants): इस वर्ग में, मुख के ऊष्म स्थान पर व्यंजनों का उच्चारण होता है, जैसे कि म, प, फ, ब, भ।
  2. तालु स्थान व्यंजन (Dental Consonants): इस वर्ग में, मुख के तालु स्थान पर व्यंजनों का उच्चारण होता है, जैसे कि त, थ, द, ध, न।
  3. मूर्धना स्थान व्यंजन (Retroflex Consonants): इस वर्ग में, मुख के मूर्धना स्थान पर व्यंजनों का उच्चारण होता है, जैसे कि ट, ठ, ड, ढ, ण।
  4. कण्ठ स्थान व्यंजन (Velar Consonants): इस वर्ग में, मुख के कण्ठ स्थान पर व्यंजनों का उच्चारण होता है, जैसे कि क, ख, ग, घ, ङ।

यह व्यंजन वर्णों के वर्गीकरण का उपयोग भाषा के ध्वनिक संरचना को समझने में मदद करता है और उनके विभिन्न ध्वनिक विशेषताओं को प्रकट करने में सहायक होता है।

कण्ठ्य व्यंजन – Throat Consonants

कण्ठ्य व्यंजन (Velar Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो मुख के कण्ठ स्थान पर उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के पीछे के हिस्से से होता है, और उनमें जीवों के कण्ठ की आवश्यकता होती है।

हिंदी में कण्ठ्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. क (ka)
  2. ख (kha)
  3. ग (ga)
  4. घ (gha)
  5. ङ (ṅa)

ये व्यंजन वर्ण ध्वनिक रूप से मुख के कण्ठ के आवश्यक स्थान पर उच्चारित होते हैं और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

तालव्य व्यंजन – Palatal Consonants

तालव्य व्यंजन (Dental Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो मुख के तालु स्थान पर उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के दाँतों के सही पीछे से होता है।

हिंदी में तालव्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. त (ta)
  2. थ (tha)
  3. द (da)
  4. ध (dha)
  5. न (na)

ये व्यंजन वर्ण मुख के तालु स्थान पर उच्चारित होते हैं और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मूर्धन्य व्यंजन – Important Dishes

मूर्धन्य व्यंजन (Retroflex Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो मुख के मूर्धना स्थान पर उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के तालु स्थान पर नहीं, बल्कि मुख के पीछे के हिस्से, जैसे कि जीभ के पीछे, उच्चारित होता है।

हिंदी में मूर्धन्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. ट (ṭa)
  2. ठ (ṭha)
  3. ड (ḍa)
  4. ढ (ḍha)
  5. ण (ṇa)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के मूर्धना स्थान पर होता है और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दन्त्य व्यंजन – Dental Consonants

दन्त्य व्यंजन (Dental Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो मुख के दांतों के संपर्क के साथ उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों के उच्चारण मुख के दांतों के सही स्थान पर होता है।

हिंदी में दन्त्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. त (ta)
  2. थ (tha)
  3. द (da)
  4. ध (dha)
  5. न (na)

इन व्यंजन वर्ण मुख के दांतों के संपर्क के साथ उच्चारित होते हैं और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ओष्ठ्य व्यंजन – Labial Consonants

ओष्ठ्य व्यंजन (Labial Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो मुख के ओष्ठ्य स्थान पर उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के होंठों या ओष्ठों के सही स्थान पर होता है।

हिंदी में ओष्ठ्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. प (pa)
  2. फ (pha)
  3. ब (ba)
  4. भ (bha)
  5. म (ma)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के ओष्ठ्य स्थान पर होता है और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

दंतोष्ठ्य व्यंजन – Cental Consonants

दंतोष्ठ्य व्यंजन (Dentolabial Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक उपश्रेणी है, जिनमें मुख के दांतों और ओष्ठों के संपर्क के साथ उच्चारण होता है। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के दांतों के ओपर ओष्ठों के सही स्थान पर होता है।

हिंदी में दंतोष्ठ्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. व (va)
  2. श (sha)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के दांतों के संपर्क और ओष्ठों के सही स्थान पर होता है और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

काकल्य व्यंजन – Kakalya Dish

काकल्य व्यंजन (Palatal Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है, जिनमें मुख के काकल्य स्थान पर उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के जीभ के पीछे के सही स्थान पर होता है।

हिंदी में काकल्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. च (cha)
  2. छ (chha)
  3. ज (ja)
  4. झ (jha)
  5. ञ (ña)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के काकल्य स्थान पर होता है और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रयत्न विधि के आधार पर वर्गीकरण

स्पर्शी या स्पृष्ट – Tactile or Talpable

स्पर्शी” और “स्पृष्ट” दो भिन्न शब्द हैं, और इनका अर्थ भिन्न होता है:

  1. स्पर्शी (Sparshi): यह शब्द “स्पर्श” से आता है और इसका मुख्य अर्थ होता है “स्पर्श योग्य” या “छूने योग्य”। इसका उपयोग किसी चीज के स्पर्श क्षेत्र के संदर्भ में किया जा सकता है।
  2. स्पृष्ट (Sparshita): यह शब्द “स्पर्श” का पर्यायी शब्द है और इसका मुख्य अर्थ होता है “स्पर्श किया गया” या “स्पर्श का अनुभव किया गया”। इसका उपयोग किसी चीज के स्पर्श की क्रिया के संदर्भ में किया जा सकता है।

इन दो शब्दों में अर्थ का भिन्नता होता है, और आपके वाक्य के संदर्भ और उपयोग के आधार पर आपको उन्हें सही तरीके से चुनना होगा

स्पर्श-संघर्षी व्यंजन – Tactile Consonants

“स्पर्श-संघर्षी व्यंजन” हिंदी व्याकरण में एक व्यंजन वर्ण का तरीका होता है जिसे उच्चारित करते समय स्पर्श या संघर्ष की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ होता है कि जब आप इस व्यंजन को उच्चरित करते हैं, तो आपकी जीभ या मुख और दांतों के बीच में एक स्पर्श या संघर्ष होता है। इससे व्यंजन का उच्चारण आवाज के साथ होता है।

हिंदी में कुछ स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ण होते हैं, जैसे:

  1. त (ta)
  2. थ (tha)
  3. द (da)
  4. ध (dha)
  5. न (na)

इन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में, जीभ या मुख द्वारा दांतों के साथ संघर्ष किया जाता है, और इससे व्यंजन का उच्चारण होता है। यह व्यंजन वर्ण ध्वनिक रूप से उच्चारित होते हैं और हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नासिक्य व्यंजन – Nasikya Dishes

नासिक्य व्यंजन (Nasal Consonants) हिंदी व्यंजन वर्णों का एक श्रेणी है जो नक के माध्यम से उच्चारित होते हैं। इन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में, वायुगमन का माध्यम नाक के माध्यम से होता है, जिससे व्यंजन का उच्चारण नासिक्य होता है।

हिंदी में नासिक्य व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. म (ma)
  2. न (na)
  3. ङ (ṅa)

इन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में, आपकी नाक वायुगमन के साथ खुलती है और इससे नासिक्य ध्वनि उत्पन्न होती है। ये व्यंजन वर्ण हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्क्षिप्त व्यंजन – Spicy Dishes

“उत्क्षिप्त व्यंजन” एक व्याकरणिक शब्द है, जिसका अर्थ होता है “व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण ऊपर की ओर होता है”। यानी, इसका उच्चारण ऊपर की ओर की ओर होता है और नक के माध्यम से नहीं होता।

उत्क्षिप्त व्यंजनों के उच्चारण में, आपकी जीभ या मुख ऊपर की ओर की ओर होते हैं और वायुगमन नक के माध्यम से नहीं होता।

हिंदी में उत्क्षिप्त व्यंजन वर्णों की सूची में कुछ वर्ण निम्नलिखित हैं:

  1. य (ya)
  2. र (ra)
  3. ल (la)
  4. व (va)
  5. श (sha)
  6. ष (ṣa)
  7. स (sa)
  8. ह (ha)

इन वर्णों का उच्चारण ऊपर की ओर की ओर होता है, और नक के सहयोग से नहीं होता।

लुंठित व्यंजन – Loose Dishes

“लुंठित व्यंजन” व्याकरण में एक प्रकार का व्यंजन वर्ण का नाम है जो इस तरीके से उच्चारित होता है कि उसके उच्चारण में मुख के बाहरी हिस्सों का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब है कि इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के बगीचे या होंठों के बगीचे के सहयोग से होता है, और वायुगमन नक के माध्यम से नहीं होता।

हिंदी में लुंठित व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. प्र (pra)
  2. फ्र (phra)
  3. ब्र (bra)
  4. भ्र (bhra)
  5. म्र (mra)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के बगीचे या होंठों के बगीचे के सहयोग से होता है, जबकि अन्य व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के आंतरिक हिस्सों के साथ होता है। इन वर्णों का उच्चारण ध्वनिक रूप से नहीं होता है, जैसे कि अन्य व्यंजन वर्णों का होता है।

अंत:स्थ व्यंजन – Internal Consonant

“अंत:स्थ व्यंजन” व्याकरण में वह व्यंजन वर्ण होता है जिसका उच्चारण मुख के अंतिम भाग में होता है, यानी मुख के आंतरिक हिस्सों में। यह वर्ण वायुमार्ग को आगे बढ़ने के लिए नहीं आफ़क्त करता है, और उसके उच्चारण में मुख के बाहरी भागों का कोई सहयोग नहीं होता।

हिंदी में अंत:स्थ व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. य (ya)
  2. र (ra)
  3. ल (la)
  4. व (va)
  5. श (sha)
  6. ष (ṣa)
  7. स (sa)
  8. ह (ha)

इन वर्णों का उच्चारण मुख के आंतरिक हिस्सों में होता है, और वायुमार्ग को आगे बढ़ने के लिए नहीं आफ़क्त करता है। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण ध्वनिक रूप से नहीं होता है, जैसे कि अन्य व्यंजन वर्णों का होता है।

पार्श्विक व्यंजन – Side Dishes

“पार्श्विक व्यंजन” हिंदी व्याकरण में एक श्रेणी है जिसमें मुख के पार्श्विक भाग का उपयोग व्यंजन के उच्चारण के लिए होता है। यानी, इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के बाहरी या पार्श्विक हिस्सों के सहयोग से होता है, जबकि वायुमार्ग नक के माध्यम से नहीं होता।

हिंदी में पार्श्विक व्यंजन वर्णों की सूची में कुछ वर्ण निम्नलिखित हैं:

  1. य (ya)
  2. र (ra)
  3. ल (la)
  4. व (va)
  5. श (sha)
  6. ष (ṣa)
  7. स (sa)
  8. ह (ha)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख के पार्श्विक भाग के सहयोग से होता है, और वायुमार्ग नक के माध्यम से नहीं होता। ये व्यंजन वर्ण हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उष्म व्यंजन – Hot Dishes

“उष्म व्यंजन” एक व्याकरणिक शब्द है और इसका मतलब होता है “गर्म व्यंजन”। उष्म व्यंजन वर्ण होते हैं जिनका उच्चारण करते समय मुख में ताप उत्पन्न होता है, यानी इनका उच्चारण गर्मी के साथ होता है।

हिंदी में उष्म व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. श (sha)
  2. ष (ṣa)
  3. स (sa)
  4. ह (ha)

इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण मुख में गर्माहट उत्पन्न करता है, और वायुमार्ग को आगे बढ़ने के लिए नहीं आफ़क्त करता है। इन वर्णों का उच्चारण ध्वनिक रूप से नहीं होता है, जैसे कि अन्य व्यंजन वर्णों का होता है।

संयुक्त व्यंजन – Consonant Combination

संयुक्त व्यंजन (Consonant Clusters) हिंदी व्याकरण में एक प्रकार के व्यंजन वर्ण होते हैं जिनमें दो या दो से अधिक व्यंजन वर्णों का मेल होता है और वे एक ही शब्द में आते हैं। इसमें पहले व्यंजन का उच्चारण होता है, और फिर दूसरे व्यंजन का उच्चारण होता है, बिना किसी स्वर के बीच में।

कुछ हिंदी उदाहरण:

  1. ग्रंथ (granth): यहाँ, “ग” और “र” संयुक्त व्यंजन हैं।
  2. स्वर्ग (swarg): यहाँ, “स” और “व” संयुक्त व्यंजन हैं।
  3. ख्रिस्त (khrisṭ): यहाँ, “ख” और “र” संयुक्त व्यंजन हैं।

संयुक्त व्यंजनों का उच्चारण कठिन हो सकता है, और इन्हें सही तरीके से बोलने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है

स्वर तंत्रियों में कंपन के आधार पर वर्गीकरण – Classification based on vibration in vocal cords

स्वर तंत्रियों को कंपन के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, और इसे “व्याकरणिक क्षेत्र” के आधार पर किया जाता है। यह कंपन के आधार पर वर्गीकृत करने का एक विशेष तरीका है जिसमें स्वरों को उनकी कंपन के आधार पर वर्गों में विभाजित किया जाता है।

स्वरों को कंपन के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. हृदय (अ) स्वर: इस वर्ग में स्वर होते हैं जो हृदय के निकट उच्चारित होते हैं, जैसे कि अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
  2. कण्ठ (आ) स्वर: इस वर्ग में स्वर होते हैं जो कण्ठ के निकट उच्चारित होते हैं, जैसे कि आ, ई, ऊ, ए, ओ।
  3. तालव्य (इ) स्वर: इस वर्ग में स्वर होते हैं जो तालु के निकट उच्चारित होते हैं, जैसे कि इ, ई, ए, ऐ।
  4. मूर्धन्य (उ) स्वर: इस वर्ग में स्वर होते हैं जो मूर्धन्य के निकट उच्चारित होते हैं, जैसे कि उ, ऊ, ऋ, ओ, औ।

इस प्रकार, स्वर तंत्रियों को कंपन के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जो उनके उच्चारण के स्थान के आधार पर परिभाषित होते हैं। यह व्याकरणिक विशेषता है और भाषा के ध्वनिक गुणों को समझने में मदद करती है।

अघोष व्यंजन – Unvoiced Consonants

“अघोष व्यंजन” हिंदी व्याकरण में व्यंजन वर्णों का एक वर्ग है जिनका उच्चारण करते समय गला को बंद नहीं किया जाता है, और वायुमार्ग से उच्चारित होते हैं। इसका मतलब है कि जब आप इन वर्णों को उच्चरित करते हैं, तो आपकी गला बंद नहीं होता और आप उच्चारण को बिना रुकावट के जारी रख सकते हैं।

हिंदी में अघोष व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. क (ka)
  2. ख (kha)
  3. ग (ga)
  4. घ (gha)
  5. ङ (ṅa)
  6. च (cha)
  7. छ (chha)
  8. ज (ja)
  9. झ (jha)
  10. ञ (ña)
  11. ट (ṭa)
  12. ठ (ṭha)
  13. ड (ḍa)
  14. ढ (ḍha)
  15. ण (ṇa)
  16. त (ta)
  17. थ (tha)
  18. द (da)
  19. ध (dha)
  20. न (na)
  21. प (pa)
  22. फ (pha)
  23. ब (ba)
  24. भ (bha)
  25. म (ma)
  26. य (ya)
  27. र (ra)
  28. ल (la)
  29. व (va)
  30. श (sha)
  31. ष (ṣa)
  32. स (sa)
  33. ह (ha)
  34. क्ष (kṣa)
  35. त्र (tra)

इन वर्णों का उच्चारण बिना गला बंद किए हुए होता है, और ये व्यंजन वर्ण हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सघोष या घोष व्यंजन – Saghosh or Ghosh Consonants

“सघोष व्यंजन” या “घोष व्यंजन” हिंदी व्याकरण में व्यंजन वर्णों का एक वर्ग है जिनका उच्चारण करते समय गला को बंद किया जाता है, और वायुमार्ग से उच्चारित होते हैं। इसका मतलब है कि जब आप इन वर्णों को उच्चरित करते हैं, तो आपकी गला बंद हो जाता है और आपको उच्चारण को वायुमार्ग के माध्यम से करना होता है।

हिंदी में सघोष व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

ख (kha)
घ (gha)
छ (chha)
झ (jha)
ठ (ṭha)
ढ (ḍha)
ध (dha)
भ (bha)
घ (gha)
ष (ṣa)
इन वर्णों का उच्चारण गला बंद करके वायुमार्ग से होता है, और ये व्यंजन वर्ण हिंदी भाषा में शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्राण वायु के आधार पर वर्गीकरण – Classification on the basis of Prana Vayu

हिंदी व्याकरण में, व्यंजन वर्णों को उनके प्राण वायु के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राण वायु से तात्पर्य वर्ण के उच्चारण के लिए आवश्यक गला और वायुमार्ग के साथ होता है। हिंदी में, प्राण वायु के आधार पर वर्गीकृत व्यंजन वर्ण निम्नलिखित हैं:

  1. कान्त्य व्यंजन (गुण प्राण): इस वर्ग में व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण के लिए गला और वायुमार्ग का सहयोग होता है। यह वर्ग गुण प्राण से तात्पर्य रखता है। कुछ उदाहरण हैं: क (ka), ख (kha), ग (ga), घ (gha), ङ (ṅa).
  2. तालव्य व्यंजन (उदात्त प्राण): इस वर्ग में व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण के लिए तालु और वायुमार्ग का सहयोग होता है। यह वर्ग उदात्त प्राण से तात्पर्य रखता है। कुछ उदाहरण हैं: च (cha), छ (chha), ज (ja), झ (jha), ञ (ña).
  3. मूर्धन्य व्यंजन (अनुदात्त प्राण): इस वर्ग में व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण के लिए मूर्धन्य और वायुमार्ग का सहयोग होता है। यह वर्ग अनुदात्त प्राण से तात्पर्य रखता है। कुछ उदाहरण हैं: ट (ṭa), ठ (ṭha), ड (ḍa), ढ (ḍha), ण (ṇa).
  4. काकु व्यंजन (दीर्घ प्राण): इस वर्ग में व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण के लिए काकु और वायुमार्ग का सहयोग होता है। यह वर्ग दीर्घ प्राण से तात्पर्य रखता है। कुछ उदाहरण हैं: त (ta), थ (tha), द (da), ध (dha), न (na).
  5. ओष्ठ्य व्यंजन (प्लुत प्राण): इस वर्ग में व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण के लिए ओष्ठ (होंठ) और वायुमार्ग का सहयोग होता है। यह वर्ग प्लुत प्राण से तात्पर्य रखता है। कुछ उदाहरण हैं: प (pa), फ (pha), ब (ba), भ (bha), म (ma).

इन प्राण वायु के आधार पर वर्गीकृत व्यंजन वर्णों को अधिक व्याकरणिक महत्वपूर्णता दी जाती है, और यह व्याकरण और उच्चारण के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।

अल्पप्राण व्यंजन – Short Consonants

“अल्पप्राण व्यंजन” हिंदी व्याकरण में व्यंजन वर्णों का एक वर्ग होता है जिनका उच्चारण करते समय गला को केवल क्षणिक रूप से बंद किया जाता है, और वायुमार्ग से उच्चारित होते हैं। इसका मतलब है कि जब आप इन वर्णों को उच्चरित करते हैं, तो आपकी गला केवल छूआ जाता है और तुरंत ही वायुमार्ग के साथ उच्चारण जारी रहता है।

हिंदी में अल्पप्राण व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. क्ष (kṣa)
  2. त्र (tra)

ये वर्ण व्यंजन होते हैं और उनका उच्चारण बिना गला बंद किए हुए होता है, लेकिन वायुमार्ग से उच्चारित होते हैं।

महाप्राण व्यंजन – Aspirated Consonants

“महाप्राण व्यंजन” हिंदी व्याकरण में व्यंजन वर्णों का एक वर्ग है जिनका उच्चारण करते समय गला को पूरी तरह से बंद किया जाता है, और उनका उच्चारण सिर्फ वायुमार्ग से होता है। इसका मतलब है कि जब आप इन वर्णों को उच्चरित करते हैं, तो आपकी गला पूरी तरह से बंद होता है और वायुमार्ग के साथ ही उच्चारण जारी रहता है।

हिंदी में महाप्राण व्यंजन वर्णों की सूची निम्नलिखित है:

  1. ख (kha)
  2. घ (gha)
  3. छ (chha)
  4. झ (jha)
  5. ढ (ḍha)
  6. ध (dha)
  7. भ (bha)
  8. ष (ṣa)

ये वर्ण व्यंजन होते हैं और उनका उच्चारण गला पूरी तरह से बंद किया जाता है, और उन्हें केवल वायुमार्ग से उच्चारित किया जाता है। इन वर्णों का उच्चारण काफी मजबूत और गहरा होता है।

वर्गीय व्यंजन – Square Dishes

“वर्गीय व्यंजन” व्याकरण में एक ऐसे व्यंजन वर्ण को कहते हैं जिसका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ होता है, अर्थात् इसका उच्चारण किसी वर्ग के साथ किया जाता है।

हिंदी में कुछ उदाहरण वर्गीय व्यंजन वर्ण हैं:

  1. क्ष (kṣa): इसका उच्चारण क्ष वर्ग के साथ होता है।
  2. त्र (tra): इसका उच्चारण त्र वर्ग के साथ होता है।
  3. ज्ञ (jña): इसका उच्चारण ज्ञ वर्ग के साथ होता है।

ये वर्ण व्यंजन होते हैं और उनका उच्चारण गला को बंद किए बिना वायुमार्ग से होता है, लेकिन इनका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ होता है, इसलिए इन्हें वर्गीय व्यंजन कहा जाता है। इनका उच्चारण कठिन होता है और इन्हें सही ढंग से उच्चरण करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है।

अवर्गीय व्यंजन – Unclassified Consonants

“अवर्गीय व्यंजन” व्याकरण में वह व्यंजन वर्ण होता है जिसका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ नहीं होता है, अर्थात् इसका उच्चारण किसी वर्ग के साथ नहीं किया जाता है। इन व्यंजन वर्णों का उच्चारण गला को बंद किए बिना और वायुमार्ग से होता है।

हिंदी में कुछ उदाहरण अवर्गीय व्यंजन वर्ण हैं:

  1. प (pa): इसका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ नहीं होता है।
  2. ब (ba): इसका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ नहीं होता है।
  3. म (ma): इसका उच्चारण किसी विशेष वर्ग के साथ नहीं होता है।

ये व्यंजन वर्ण होते हैं और उनका उच्चारण गला को बंद किए बिना और वायुमार्ग से होता है, और इनका उच्चारण किसी वर्ग के साथ नहीं किया जाता है, इसलिए इन्हें “अवर्गीय व्यंजन” कहा जाता है।

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