Skip to content

महँगाई पर निबंध – Mehangai Essay in Hindi

महँगाई की समस्या अथवा महँगाई समस्या और समाधान अथवा मूल्य वृद्धि : कारण एवं निवारण अथवा भारत की प्रमुख समस्या-महँगाई अथवा बढ़ती महँगाई की समस्या अथवा बढ़ते मूल्यों की समस्या

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. महँगाई के कारण 3. महँगाई के कारण होने वाली कठिनाइयाँ 4. महँगाई को दूर करने के सुझाव 5. उपसंहार।

महँगाई पर निबंध
महँगाई पर निबंध

1. प्रस्तावना – भारत की आर्थिक समस्याओं के अन्तर्गत महँगाई की मार का वास्तविक चित्रण हास्य कवि ‘काका हाथरसी’ ने इन पंक्तियों में किया है-

पाकिट में पीड़ा भरी कौन सुने फरियाद?
यह महँगाई देखकर वे दिन आते याद।
वे दिन आते याद, जेब में पैसा रखकर,
सौदा लाते थे बाजार से थैला भरकर।
धक्का मारा युग ने मुद्रा की क्रेडिट में,
थैले में रुपये हैं, सौदा है पाकिट में।

भारत में महँगाई एक प्रमुख समस्या है। वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि का क्रम इतना तीव्र है कि आप जब दोबारा किसी वस्तु को खरीदने जाते हैं, वस्तु का मूल्य पहले से अधिक बढ़ा हुआ होता है। लगातार बढ़ती हुई महँगाई ने एक सामान्य स्तर के व्यक्ति का जीना मुश्किल कर दिया है।

2. महँगाई के कारण – महँगाई के प्रमुख कारणों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है–
( क ) जनसंख्या में तेजी से वृद्धि – जनसंख्या वृद्धि महँगाई का एक सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या अधिक होने के कारण वस्तुओं की माँग बढ़ती है जबकि जनसंख्या के अनुपात में वस्तुओं का उत्पादन नहीं हो पाता है, परिणामस्वरूप उन वस्तुओं के दाम में वृद्धि हो जाती है।

( ख ) कृषि उत्पादन-व्यय में वृद्धि – विगत अनेक वर्षों में खेती में उपयोग में आने वाले उपकरणों, बीजों, उर्वरकों आदि के मूल्यों में अत्याधिक वृद्धि हुई है। परिणामतः उत्पादित वस्तु के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है। क्योंकि वस्तुओं के मूल्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि-पदार्थों के मूल्यों से सम्बन्ध होते हैं। जब इस कारण कृषि मूल्य में वृद्धि हो जाती है तो देश में अधिकांश वस्तुओं के मूल्य अवश्य ही प्रभावित होते हैं।

(ग) कृत्रिम रूप से वस्तुओं की आपूर्ति में कमी – वस्तुओं का मूल्य माँग और पूर्ति पर आधारित है जब बाजार में वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है तो उनके मूल्य बढ़ जाते हैं। अधिक लाभ के उद्देश्य से भी व्यापारी वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा कर देते हैं, जिसके कारण महँगाई बढ़ जाती है।

(घ) मुद्रा प्रसार – मुद्रा-प्रसार के कारण महँगाई अधिक बढ़ती है। चतुर्थ मुद्रा प्रसार से महँगाई अधिक बढ़ी है। कभी एक रुपये में जो वस्तु मिलती थी वही वस्तु आज पचास रुपये में मिलती है।

(ङ) प्रशासन में ढील प्रशासन के स्वरूप पर ही देश की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है। यदि प्रशासन ढोला पड़ जाता है, तो मूल्य वृद्धि होती चली जाती है। कमजोर प्रशासन व्यापारी पर नियंत्रण नहीं रख पाता। इस प्रकार की स्थिति में मूल्य वृद्धि स्वभाविक है।

(च) घाटे का बजट – घाटे का बजट भी महंगाई का प्रमुख करण है सरकार अपने घाटे को पूरा करने के लिए नए नोट छापती है। परिणामस्वरूप बाजार में अधिक मुद्रा आ जाती है और महंगाई बढ़ती है।

(छ) असंगठित उपभोक्ता – वस्तुओं का क्रय करने वाला उपभोक्ता वर्ग प्रायः असंगठित होता है, जबकि विक्रेता या व्यपारिक संस्थाएँ अपना संगठन बना लेती हैं। ये संगठन इस बात का निर्णय करते हैं कि वस्तुओं का मूल्य क्या रखा जाए और उन्हें कितनी मात्रा में बेचा जाए।

अब सभी सदस्य इन नीतियों का पालन करते हैं तो वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होने लगती है। वस्तुओं के मूल्यों में होने वाली इस वृद्धि से उपभोक्ताओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

(ज) धन का असमान वितरण – हमारे देश में आर्थिक साधनों का असमान वितरण महँगाई का मुख्य कारण है। जिसके पास पर्याप्त धन है वे लोग अधिक पैसा देकर साधनों और सेवाओं को खरीद लेते हैं। व्यापारी धनवानों की इस में व्याप्त प्रवृत्ति का लाभ उठाते हैं और महँगाई बढ़ जाती है। वस्तुतः विभिन्न सामाजिक आर्थिक विषमताओं एवं समाज अशांतिपूर्ण वातावरण का अन्त करने के लिए धन का समान वितरण होना आवश्यक है।

3. महँगाई के कारण होने वाली कठिनाइयाँ – हमारा देश एक गरीब देश है। यहाँ जनता के साधन सीमित है। इसलिए महँगाई नागरिकों के लिए अभिशाप स्वरूप है। इस कारण साधारण नागरिक और कमजोर वर्ग के व्यक्ति अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं पाते। बेरोजगारी इस कठिनाई को और भी अधिक जटिल बना देती है।

महँगाई के कारण देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तथा योजनाओं के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हो पाते। महँगाई के कारण देश की प्रगति की दौड़ में पिछड़ता जाता है। व्यापारी अधिक लाभ कमाने के लिए वस्तुओं को गोदामों में छिपा देते है।

4. महँगाई को दूर करने के सुझाव – महँगाई को दूर करने के कुछ सुझाव निम्न है –
(1) सरकार द्वारा समस्याओं को हल करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना।
(2) मुद्रा प्रसार को रोकना और कम घाटे का बजट प्रस्तुत करना ।
(3) किसानों को सस्ते मूल्य पर बीज, कृषि उपकरण एवं खाद उपलब्ध कराना।

(4) कठोर प्रशासनिक व्यवस्था करना, जिससे जमाखोरी एवं रिश्वतखोरी समाप्त हो सके।
(5) नए नोट छापने की प्रणाली को समाप्त करना, जिससे मुद्रा प्रसार रुक सके।
(6) परिवार नियोजन कार्यक्रम को उचित तरीके लागू करना, जिससे जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लग सके।

(7) धन का वितरण समान हो सके, सरकार द्वारा इस प्रकार के प्रयास किए जाना।
(8) ऐसी शिक्षा व्यवस्था होना जिससे नागरिकों के चरित्र में सुधार होकर वे त्यागी और तपस्वी बनें । उच्च पदों पर पहुँचकर रिश्वतखोर न बनें जिससे प्रशासनिक व्यवस्था सुधर सके ।

5. उपसंहार – महँगाई की वृद्धि के कारण देश की प्रगति में बाधा और अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। यदि समय रहते महँगाई के इस दैत्य को वश में न किया गया; तो हमारी अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी और हमारी प्रगति के सभी मार्ग बन्द हो जाएँगे। भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा लेगा और नैतिक मूल्य पूर्णतया समाप्त हो जाएँगे।

यद्यपि सरकार की ओर से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में किए जाने वाले प्रयासों द्वारा महँगाई की इस प्रवृत्ति को रोकने का प्रयास निरन्तर किया जा रहा है, तथापि इस दिशा में अभी तक पर्याप्त सफलता नहीं मिल सकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *