निबंध की परिभाषा

निबंध की परिभाषा – Nibandh ki paribhasha
निबन्ध-लेखन
निबन्ध शब्द नि + बंध से बना है। ‘नि‘ उपसर्ग है, इस शब्द में इसका अर्थ है ‘भली-भाँति’ या ‘अच्छी तरह’। ‘बंध‘ धातु है, जिसका अर्थ है ‘बाँधी हुई वस्तु’। इस प्रकार निबन्ध भली-भाँति बाँधी हुई रचना है।
हिन्दी में इस शब्द का प्रयोग अंग्रेजी ‘एसे’ (Essay) के अनुवाद के रूप में होता है। इसमें किसी विषय का वर्णन अथवा प्रतिपादन किया जाता है। निबन्ध में प्रस्तुत विचार लेखक के अपने होते हैं, इसीलिए निबन्ध में आत्मीयता या निजीपन होना आवश्यक है।
निबन्धों के प्रकार –
(i) वर्णनात्मक निबन्ध
(iii) तर्कानुबद्ध निबन्ध
(ii) विवरणात्मक निबन्ध
(iv) विचारात्मक निबन्ध
(v) व्याख्यात्मक निबन्ध आदि।
कुछ स्मरणीय तथ्य –
सुगठित निबन्ध लिखने के लिए तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए—(i) विषय निरूपण या भूमिका (ii) व्याख्या और (iii) निष्कर्ष या उपसंहार।
विषय निरूपण के अन्तर्गत विषय का संक्षिप्त परिचय, आरम्भ में प्रभावशाली ढंग से देना चाहिए। यह रोचक हो तो उत्तम, क्योंकि रोचकता के कारण पाठक आगे जानना या पढ़ने को विवश हो जाता है।
व्याख्या खण्ड निबन्ध का सार है। इसमें विषय का विश्लेषण कर उस पर उचित प्रकाश डालना चाहिए अर्थात् सभी पहलुओं को उजागर करना चाहिए। क्रम का होना भी आवश्यक होना चाहिए।
अंत में निष्कर्ष में निबन्ध में बताई गयी बातों का सारांश दो-चार पंक्तियों में देना चाहिए। ये ऐसी होनी चाहिए कि पाठको को लगे कि इससे अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता है