जनसंख्या वृद्धि
रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2.जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं 3.जनसंख्या वृद्धि के कारण 4.जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करने के उपाय

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध 850 शब्दों में
1.प्रस्तावना – जनसंख्या वृद्धि की समस्या भारत के सामने एक विशाल समस्या बनती जा रही है सन 1930 से 1931 में भारत की जनसंख्या 20 करोड़ थी जो अब केवल भारत में ही 130 करोड़ के ऊपर पहुंच चुकी है जनसंख्या की इस तेजी से बढ़ती हुई वृद्धि के साथ समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
जैसे सीमित भूमि तथा सीमित आर्थिक संसाधन अनेकों समस्याएं बनी हैं जैसे समस्त नागरिकों की शिक्षा स्वच्छता चिकित्सा एवं वातावरण उपलब्ध कराने की समस्या बनी है अस्वच्छ एवं अशिष्ट परिवेश से किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को मातृभूमि की यह दशा आज का विषय बन जाती है।
2.जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं – जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न अनेकों समस्याएं हैं जो आज एक चिंता का विषय बना हुआ है जिस तरह हमारे ही देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में इस बढ़ती हुई आबादी को रोका नहीं गया तो सबसे बड़ी समस्या हमारे पास भारत का क्षेत्रफल विश्व भू भाग का कुल 2.4 प्रतिशत ही है जबकि यहां की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या की लगभग 18% है।
अतः कृषि के लिए भूमिका अभाव हो गया है इसके परिणाम स्वरूप भारत की मुख्य समृद्धि में योगदान देने वाले अमूल्य जंगलों को काटकर उस जगह को रहने योग्य अथवा कृषि योग्य बनाया जा रहा है जिससे हमारे अमूल्य जंगलों का विनाश होता जा रहा है।
तथा इससे वातावरण दिन प्रतिदिन दूषित होता जा रहा है हमारे अमूल्य जंगली जानवरों की प्रजातियां दिन प्रतिदिन विलुप्त होती जा रही हैं यदि हम इसी तरह जंगलों को काटते रहेंगे तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब हम मनुष्य ऑक्सीजन के लिए एक दूसरे को मृत्यु के मुंह में जाते हुए देखेंगे हमारे पास जो उपजाऊ जमीन है हम दिन प्रतिदिन अपने रहने योग्य बनाए जा रहे हैं।
1 दिन ऐसा भी आएगा की हम अन्य के दानों के लिए तरसना पड़ जाएगा हम चाहते हैं ऐसा दिन ना आए तो हम सभी भारत वासियों को बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए गंभीरता से विचार करना होगा तथा वृद्धि को रोकने के लिए सरकार को कड़ा शासन लगाना होगा और हम नागरिकों उस शासन का हम पालन करें और जनसंख्या वृद्धि को रोकें
3.जनसंख्या वृद्धि के कारण – प्राचीन भारत में आश्रम व्यवस्था द्वारा मनुष्य के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन को नियंत्रित कर व्यवस्थित किया गया था 100 वर्ष की संभावित आयु का केवल चौथाई भाग लोग गृहस्थ आश्रम के लिए था।
व्यक्ति का शेष जीवन शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों के तथा विकास समाज सेवा लोगों को जागरूक करना में ही बीतता था इस प्रकार प्राचीन भारत का जीवन मुक्ता आध्यात्मिक और समाजिक कार्यों में बीतता था आश्रम की व्यवस्था नष्ट हो जाने के कारण लोग युवावस्था से लेकर मृत्य अवस्था तक लोग अपना जीवन घर में ही बिताना पसंद करते हैं जिससे जनसंख्या में वृद्धि बढ़ती जा रही है।
लोग लड़की लड़का देखते देखते कई पुत्रों अथवा पुत्रियों का जन्म हो जाता है ग्रामों में कृषि योग्य भूमि सीमित है सरकार द्वारा भारी उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने से जो लोग जो कार्य हाथों से करते थे अपनी कला का एक प्रचार करके उस सामान को बेचा करते थे।
आज बड़ी-बड़ी कंपनियां उन्हीं चीजों को बनाकर बाजार में बेचते हैं जिससे युवा तेजी से शहरों की ओर जा रहे हैं इसके अतिरिक्त बाल विवाह गर्म जलवायु रूढ़िवादिता चिकित्सा सुविधा के कारण मृत्यु दर में कमी आज भी जनसंख्या का एक बड़ा कारण है
4.जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करने के उपाय – जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करने का सबसे स्वाभाविक और कारगर उपाय तो ब्रह्मचारी ही है किंतु वर्तमान भौतिकवादी युग में जहां अर्थ और काम ही जीवन का लक्ष्य है सबसे पहले आ सकता है इस बात की है।
कि भारत अपने प्राचीन स्वरूप को पहचान कर अपनी पर प्राचीन संस्कृत को उज्जवल करें इससे समाज में नैतिकता को बल मिलेगा भारी उद्योग उन्हीं देशों के लिए उपयोगी है जिनकी जनसंख्या बहुत कम है भारत देश से जनसंख्या वाले देशों में लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
जिससे अत्यधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और आय बढ़ने के साथ-साथ उनके रहन-सहन में भी सुधार और संतान उत्पत्ति में पर्याप्त कमी आएगी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करने के लिए लड़के लड़कियों की विवाह योग्य आयु बढ़ाना भी उपयोगी रहेगा तथा लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है जनसंख्या वृद्धि हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है।
यदि आज हम इस पर विचार नहीं करेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियां को सुखी जीवन का अभाव नहीं हो पाएगा वृद्धि रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है वर्तमान युग में जनसंख्या को नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक औषधियों एवं उपकरणों का प्रयोग आवश्यक हो गया है सरकार ने अस्पतालों और चिकित्सालय में नसबंदी की व्यवस्था की है।
तथा परिजन से संबंध कर्मचारियों के परीक्षण के लिए केंद्र एवं राज्य स्तर पर अनेक परीक्षण संस्था भी खोले हैं यदि इन सब का लाभ तथा जानकारी प्राप्त की जाए और लोग इसके प्रति जागरूक हो जाए तो ही पृथ्वी पर सुखी जीवन की कामना हम अपने आने वाली पीढ़ियों को दे सकते हैं