गणतन्त्र दिवस अथवा राष्ट्रीय त्यौहार अथवा राष्ट्रीय एकता का पर्व : गणतन्त्र दिवस अथवा गणतन्त्र दिवस परेड का आँखों देखा हाल अथवा गणतन्त्र दिवस का महत्त्व
रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. मनाने का ढंग 3. गणतन्त्र प्रणाली से लाभ 4. उपसंहार

गणतन्त्र दिवस पर निबंध 1000 शब्दों में – Republic Day Essay in Hindi
1. प्रस्तावना – गणतन्त्र का अर्थ है- ऐसा राष्ट्र जिसकी सत्ता जन-साधारण में समाहित हो। वैसे तो 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ। लाखों लोगों ने अपना बलिदान देकर इस दिन का स्वागत किया था। इसे राष्ट्र दिवस की संज्ञा दी गई तथा राष्ट्रीय पर्व के रूप में जनता ने बड़े हर्ष और उल्लास से इसे मनाया। प्रतिवर्ष लाल किले पर झंडा आरोहण कर प्रधानमंत्री भाषण देते हैं।
पुरानी बातों को स्मरण करके आगे की नई योनाजाओं का उल्लेख करते हैं। तबसे यह दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसे स्वतन्त्रता दिवस भी कहा जाता है। इस प्रकार के राष्ट्रीय दिवस मनाने की संकल्पना सन् 1930 में 26 जनवरी को सामने आयी थी। लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस का अधिवेशनहुआ।
इसमें पूर्व स्वतन्त्रता का प्रस्ताव पास हुआ तथा इस दिन को पूरे देश में “स्वराज्य दिवस’ के रूप में मनाया जाना प्रारम्भ हुआ। लेकिन इस स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ मिला 26 जनवरी सन् 1950 को। यह वह तारीख है, जब भारत का संविधान लागू हुआ था और इसी दिन भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य घोषित किया गया था। इसी दिन को हम गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है।
2. मनाने का ढंग—इस दिन प्रत्येक भारतीय देश की आजादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं, जिसका प्रसारण रेडियो एवं दूरदर्शन पर किया जाता है | इंडिया गेट, विजयपथ और नई दिल्ली में गणतन्त्र दिवस का समारोह विशेष तौर पर आयोजित किया जाता है।
मुख्य अतिथि के रूप में प्राय: किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण करने के बाद परेड एवं भव्य झांकियाँ निकाली जाती हैं। इंडिया गेट से लेकर विजय पथ तक इसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। थल सेना, नौ सेना, वायु सेना एवं अर्द्ध-सैनिक बलों की परेड इस समारोह की जान होती है।
इसके अतिरिक्त पूरे देश की संस्कृति का आभास कराते हुए प्राय: हर प्रदेश की भव्य एवं खूबसूरत झाँकियाँ लोगों का मन मोह लेती हैं। इस समारोह में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा वाले जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। इसी दिन सूझ-बूझ एवं वीरता का प्रदर्शन करने वाले बहादुर बच्चों को भी इस दिन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।
परेड के अन्त में वायु सेना के जहाज आसमान में कलाबाजियाँ प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक विद्यालयों, उच्च विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष्य में देशभक्तिपरक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इस दिन राष्ट्रपति भवन में अनेक राजकीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। विदेशी राजनायिक, वरिष्ठ सम्मानीय जन व पदक विजेता यहाँ एकत्र होते हैं। रात्रि को राष्ट्रपति भवन, सचिवालय, इण्डिया गेट व अन्य राजकीय कार्यालय रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगा उठते हैं। लाल किले के प्रांगण में हिन्दी एवं उर्दू भाषा में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
3. गणतन्त्र प्रणाली से लाभ – प्रजातन्त्र एवं लोकतन्त्र गणतन्त्र के ही समानार्थी शब्द हैं। प्रजातन्त्र शासन-प्रणाली के अनेक लाभ हैं। प्रजातन्त्रीय शासन में राज्य की अपेक्षा जन को अधिक महत्व दिया जाता है। राज्य व्यक्ति के विकास के लिए पूर्ण अवसर प्रदान करता है।
राष्ट्रीय पर्व यहाँ के नागरिकों में ऐसी प्रेरणा और उत्साह भर देते हैं जिसे वे वर्ष भर स्मरण रखते हैं।
इस पर्व के द्वारा लोक संस्कृति को विकसित करने का प्रयत्न किया जाता राष्ट्र सन्मुख सैनिक शक्ति का प्रदर्शन करके जनता में सुरक्षा की भावना आश्वस्त की जाती है। देश के सभी राज्य संगठित हैं तथा राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं, इस भावना का परिचय प्राप्त होता है।
भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसमें अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ हैं, इनमें एकत्व की भावना है, यह दृष्टिकोण 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर साकार हो जाता है। इस विचार से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
जिस तरह व्यक्ति और समाज को अलग करके दोनों के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार प्रजातान्त्रिक शासन-प्रणाली में प्रजा और सरकार को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता। इसकी सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो एवं अपना हित समझती हो ।
4. उपसंहार – राष्ट्रीय पर्व मनोरंजन के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति समर्पित होने की भावना का विकास करते हैं। इस दिन विश्व के किसी कोने में भी क्यों न हो, भारतीय गौरव का अनुभव करता है तथा इसे अपने ढंग से मनाता है। वह स्वतन्त्रता के सही अर्थ को समझता है और उसे सुरक्षित रखने के लिए तत्पर हो जाता है।
जो भारतीय शारीरिक रूप से राष्ट्र की सेवा नहीं कर पाते वे धन द्वारा सेवा करने का प्रयास करते हैं। उसका धन राष्ट्र विकास में लगे, देश समृद्ध हो, यही उनके लिए प्रसन्नता का विषय होता है। इस दिन देश-विदेश के सभी भारतीय यही अनुभव करते हैं कि राष्ट्रहित TUE सर्वोपरि है।राष्ट्रीय पर्व सभी धर्म के लोगों को मिल-जुलकर रहने एवं भाईचारे का सन्देश देती हैं।
हमे देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता बनाए रखनी चाहिए तथा यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आज आजादी की जो साँस ले रहे हैं, वह हमारे वीर जवानों की देन है। सरहद पर जवान सर्दी-गर्मी, लू के थपेड़े सहते हुए भी हर पल दुश्मनों पर नजर रखते हैं तो सिर्फ इसलिए कि हमारा गणतन्त्र सुरक्षित रह सके। हमें भी अपनी स्वतन्त्रता एवं अखण्डता बनाए रखने का संकल्प लेते हुए देश के विकास में हर सम्भव योगदान देना चाहिए ।