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आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद : कारण और निवारण अथवा आतंकवाद : मानवता के लिए चुनौती अथवा आतंकवाद : कारण और निवारण अथवा आतंकवाद और राष्ट्रीय एकता अथवा देश की सबसे ज्वलन्त समस्या अथवा आतंकवाद : एक चुनौती अथवा अहिंसा, हिंसा और आतंकवाद

रूपरेखा – 1. प्रस्तावना 2. आतंकवाद का अर्थ 3. आतंकवाद के कारण 4. आतंकवाद के विभिन्न रूप 5. आतंकवाद का समाधान 6. उपसंहार।

आतंकवाद पर निबंध
आतंकवाद पर निबंध
आतंकवाद पर निबंध 1200 शब्दों में – Essay on Terrorism in Hindi

1. प्रस्तावना – मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है। इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था-विरोधी वर्ग अपने दूषित और निम्नस्तरीय स्वार्थों की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने का प्रयास करता है। स्वार्थ सिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करने से भी नहीं चूकता।

इसी स्थिति से आतंकवाद का उदय होता है। आज हमारे देश में चारों ओर आतंकवाद और अलगाववाद की आँधी फैली हुई है। जब किसी भी राष्ट्र में निजी स्वार्थ अधिक पनपता है तो इसी प्रकार की घटनाएँ उत्पन्न होती हैं। आतंकवाद ने अपने हिंसात्मक कारनामों के द्वारा जनता के अन्दर इतना भय पैदा कर दिया है कि वह बौखला उठती है।

भारत में कुछ संगठनों एवं विदेशी आतंकवादियों द्वारा विस्फोटों, हत्याओं का सिलसिला आज भी जारी है। इन कारनामों को अंजाम देने के लिए आई० सी० सी० जे० के० एल० एफ०, लश्कर-ए-तैय्यबा जैसे संस्थाएँ भारत की सुख-शान्ति को समाप्त करना चाहती है। कश्मीर में जो आतंकवाद चल रहा है वह पाकिस्तान के सहयोग से चल रहा है।

2. आतंकवाद का अर्थ- ‘आतंक’ शब्द के कोशपरक अर्थ में दबदबा तथा भय का उल्लेख है, इस प्रकार आतंकवाद से अभिप्राय है- भय, अत्याचार तथा सामाजिक अनुशासनों की क्रूरता से उत्पन्न स्थिति।

अपने निजी राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए विभिन्न बाह्य शक्तियाँ जब किसी राष्ट्र में व्यापक स्तर पर जनता में अपने भीषण कारनामों के द्वारा भय, असंतोष तथा असुरक्षा की भावना को फैला देती है, तब उस स्थिति को हम आतंकवाद कहते हैं। आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र या शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है।

अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्राय: विरोधी वर्ग, दल समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है। अतः अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए, आतंकवादी गैरकानूनी ढंग से अथवा हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासनतन्त्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास भी करते हैं।

इस प्रकार “आतंकवाद उस प्रवृत्ति को कह सकते हैं, जिसमें कुछ लोग अपनी उचित अथवा अनुचित माँग मनवाने में घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते हैं।”

3. आतंकवाद के कारण-भारत धर्म निरपेक्ष तथा शांतिप्रिय देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग आपसी मतभेद भुलाकर सह-अस्तित्व के सिद्धान्त का पालन करते हैं। इधर कुछ वर्षों से बलात्कार, अपहरण, लूट, हत्या अधिक दिखाई दे रहीं हैं। इन सबकी डोर कहीं न कहीं किसी आतंकवादी संगठनों से जुड़ी होती है।

ये संगठन राजनीतिक स्वार्थपरता तथा धर्मांधता के कारण पनपते हैं। इन संगठनों में नवयुवक तथा नवयुवतियों को सभी प्रकार के शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा इनके मस्तिष्क में विद्रोह, हिंसा, आगजनी और अराजकता फैलाने का जहर इस सीमा तक भर दिया जाता है कि इन्हें कुछ और सूझता ही नहीं। ये संगठन के संकेत को आदेश मानकर कार्य करते रहते हैं।

इस समय आतंकवाद के सन्दर्भ में विचार करें तो विश्व दो दलों में विभक्त है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ओर इस्लामी जगत है तो दूसरी ओर शक्ति सम्पन्न विकसित देश। दोनों दमन की नीति अपना रहे हैं।

इस्लामी देश तेल के कुओं के राजा हैं और अमेरिका आदि विकसित देश शक्ति सम्पन्न तथा टेक्नोलॉजी में आगे हैं। दोनों ही एक-दूसरे को दबाकर अधिक से अधिक देशों में आतंक फैला रहे हैं। भारत भी आज इस आतंकवाद का शिकार है।

आतंकवाद के कुछ कारण निम्न हैं- (अ) बाह्य शक्तियों के प्रभाव (ब) शिक्षा का अभाव (स) उचित मार्गदर्शन का अभाव (द) आजीविका की समस्या (य) प्रशासनिक अकुशलता (र) राजनीतिक कुचक्रों का परिणाम (ल) दुश्मन देश की इर्ष्या (ब) दुश्मन देश से प्राप्त धन का लालच (स) हमारे दुश्मन द्वारा आतंकवादी कैम्पों का चलाया जाना आदि।

4. आतंकवाद के विभिन्न रूप- आतंकवादी घटनाएँ केवल भारत में नहीं वरन् विश्वभर में हो रही हैं। भारत में आतंकवादी गतिविधियों हेतु सहायता देने वला पाकिस्तान है। हम कह सकते हैं कि भारत में वर्षों से कश्मीर आतंकवादी गतिविधियों का केन्द्र रहा है।

धीरे-धीरे पूरे भारत में इसने अपनी जड़े जमा लीं हैं और अवसर मिलते ही नगर में बम विस्फोट, अत्याचार की घटनाएँ घटित हो रही हैं। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश में बहुत तेजी से आतंकवाद का विष फैल रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आदि भी आतंकी हमलों से बचे नहीं है। फिर भी भारत निराश नहीं है, यहाँ की जनता में भाई-चारे और सहयोग की भावना सर्वत्र विद्यमान है।

5. आतंकवाद का समाधान- आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो, किन्तु यह तो स्पष्ट ही है कि इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए।

भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गम्भीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत की संसद में “आतंकवाद विरोधी विधेयक पारित कर दिया है, जिसके अन्तर्गत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्ति को कठोर-से-कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है।

आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए। इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकवादियों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा, वहीं गुमराह युवकों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश करनी होगी।

आतंकवादियों को पकड़ने तथा उन्हें दण्डित करने के लिए आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की आवश्यकता है, जिससे जनता आतंकवादियों से लड़ने में भय का अनुभव न करें। आतंकवाद से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए।

आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एकमत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लें । विश्व की सभी सरकारों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध पारस्परिक सहयोग करना चाहिए, जिससे कोई आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके।

6. उपसंहार – आतंकवाद समाप्त करना किसी एक राष्ट्र के वश में नहीं है। इसके लिए सबके मन में दृढ़ निश्चय की आवश्यकता है, पारस्परिक विश्वास के द्वारा सम्मिलित प्रयास करना अपेक्षित है। सभी राष्ट्र एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करके मिल-जुलकर विश्व को सुरक्षित और सुखी बनाएँ तभी मानवता प्रतिष्ठित हो सकेगी।

इसलिए भारत सरकार द्वारा अपनाई गई सकारात्मक नीति का अन्तर्राष्ट्रीय देशों ने स्वागत किया है। भारत ने कहा है कि आतंकवादी गतिविधियों को पाकिस्तान पहले बन्द करता है तो भारत शान्ति वार्ता के लिए सदैव तैयार है।

उसने कहा है कि किसी भी समस्या का समाधान परमाणु बम का प्रयोग अथवा युद्ध करने से नहीं होता है। यद्यपि भारत को विश्व का समर्थन प्राप्त है लेकिन पिछले 30 वर्षों से वह अकेला ही आतंकवाद से जूझ रहा है।

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